देशभर में युद्ध की तैयारी की मॉकड्रिल आज, दुर्ग भी अलर्ट पर; नागरिकों को एयर अटैक से बचने की ट्रेनिंग दी जाएगी

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आज यानी 7 मई को पूरे देश के 244 स्थानों पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण अभ्यास किया जा रहा है। यह अभ्यास ‘मॉकड्रिल’ कहलाता है, जिसका मकसद युद्ध जैसी स्थिति में लोगों को सुरक्षित रखने की तैयारी करना है। खास बात यह है कि इस अभ्यास में छत्तीसगढ़ का दुर्ग शहर भी शामिल है, जिसे भिलाई स्टील प्लांट की वजह से एक संवेदनशील इलाका माना गया है। इसलिए दुर्ग को विशेष रूप से अलर्ट पर रखा गया है।


क्या है मॉकड्रिल और क्यों हो रही है?

मॉकड्रिल एक तरह की नकली प्रैक्टिस होती है, जिसमें यह देखा जाता है कि अगर किसी शहर या इलाके पर दुश्मन देश हमला करता है – जैसे कि हवाई हमला या बमबारी – तो प्रशासन और आम लोग कितनी जल्दी और कैसे रिएक्ट करते हैं।

यह अभ्यास इसलिए किया जाता है ताकि असली खतरे की स्थिति में जान-माल की हानि को कम किया जा सके और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


देशभर में क्यों हो रही है यह तैयारी?

हाल ही में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। सरकार किसी भी संभावित युद्ध या हमले से पहले पूरी तैयारी करना चाहती है, ताकि देश को सुरक्षित रखा जा सके।

इसलिए, पूरे देश के 244 संवेदनशील जिलों में यह युद्ध अभ्यास किया जा रहा है।


दुर्ग को क्यों चुना गया?

दुर्ग शहर को कैटेगरी-2 में रखा गया है, जिसका मतलब है कि यह एक मध्यम स्तर का संवेदनशील इलाका है। यह कैटेगरी शहरों की संवेदनशीलता के आधार पर तय की गई है:

  • कैटेगरी-1: सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र

  • कैटेगरी-2: मध्यम स्तर के संवेदनशील क्षेत्र

  • कैटेगरी-3: अपेक्षाकृत कम संवेदनशील क्षेत्र

दुर्ग को कैटेगरी-2 में इसलिए रखा गया है क्योंकि यहां भिलाई स्टील प्लांट मौजूद है, जो राष्ट्रीय स्तर की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है और किसी भी युद्ध की स्थिति में टारगेट बन सकता है।


मॉकड्रिल के दौरान क्या-क्या होगा?

आज शाम 4 बजे से पूरे दुर्ग में जगह-जगह सायरन बजाए जाएंगे, जो यह संकेत देंगे कि मॉकड्रिल शुरू हो चुकी है। इसके बाद कई गतिविधियाँ होंगी:

मॉकड्रिल में शामिल मुख्य कार्य:

  • जगह-जगह सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया जाएगा।

  • आम लोगों और छात्रों को हवाई हमले से बचने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

  • कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम पूरी तरह एक्टिव होंगे।

  • फायर ब्रिगेड, वार्डन, और रेस्क्यू टीम जैसे इमरजेंसी सेवाएं तैनात रहेंगी।

  • ब्लैकआउट अभ्यास किया जाएगा, जिसमें पूरे इलाके की बिजली कुछ समय के लिए बंद की जाएगी।

  • जरूरी ठिकानों को कैसे छिपाया जाए – इस पर अमल किया जाएगा।

  • लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की रिहर्सल होगी।

  • बंकरों की सफाई और उपयोग के लिए तैयारी की जाएगी।


ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या होती है?

ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब है कि एक तय समय के लिए इलाके की सारी लाइट्स बंद कर दी जाती हैं। इसका मकसद यह होता है कि अगर दुश्मन देश हमला करे, तो वह रोशनी के अभाव में ठिकानों को आसानी से टारगेट कर सके। अंधेरे में दुश्मन के लिए बमबारी करना कठिन हो जाता है।

यह तकनीक पहले भी युद्ध के समय अपनाई जाती थी।


पिछली बार कब हुई थी ऐसी मॉकड्रिल?

भारत में इस तरह की सबसे बड़ी मॉकड्रिल 1971 में हुई थी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। उस समय भी नागरिकों को हवाई हमले और अन्य आपात स्थितियों से बचाने के लिए इसी तरह के अभ्यास किए गए थे।

अब इतने वर्षों बाद एक बार फिर इस स्तर की तैयारी की जा रही है, क्योंकि हालात तनावपूर्ण हो गए हैं।


दुर्ग में प्रशासन की तैयारी कैसी है?

मंगलवार को दुर्ग के कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक विशेष बैठक की गई, जिसमें दुर्ग संभाग के कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर और सिविल डिफेंस से जुड़े अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में मॉकड्रिल की सभी तैयारियों की समीक्षा की गई।

बैठक में यह बताया गया कि अगर कोई पैनिक सिचुएशन (घबराहट वाली स्थिति) बनती है, तो लोगों को कैसे शांत किया जाए, इसका भी वीडियो के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है।


लखनऊ और जम्मू में पहले ही हो चुकी है मॉकड्रिल

इससे पहले लखनऊ और जम्मू जैसे शहरों में भी इस तरह की मॉकड्रिल हो चुकी है। वहां पर नागरिकों को युद्ध के दौरान बचने की तकनीकी जानकारी दी गई। इससे लोग ज्यादा जागरूक हुए हैं और उन्हें समझ में आया कि किसी खतरे की स्थिति में क्या करना है।


आम नागरिकों के लिए जरूरी बातें:

  • अगर सायरन बजे, तो तुरंत अलर्ट हो जाएं।

  • किसी खुले स्थान से दूर जाकर सुरक्षित स्थान जैसे बंकर या कमरे में शरण लें।

  • मोबाइल फोन का प्रयोग कम करें ताकि नेटवर्क ओवरलोड हो।

  • अफवाहों से बचें और केवल सरकारी सूचना पर विश्वास करें।

  • बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।


निष्कर्ष:

इस मॉकड्रिल का उद्देश्य केवल एक प्रैक्टिस नहीं है, बल्कि यह लोगों को आने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करना है। सरकार और प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देशवासी किसी भी परिस्थिति में घबराएं नहीं और पूरी तरह सुरक्षित रहें।

दुर्ग जैसे शहरों में यह अभ्यास बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक इकाइयां हैं, जिन्हें सुरक्षा की अधिक जरूरत है।

इसलिए, यह जरूरी है कि हम सभी इस अभ्यास को गंभीरता से लें और जो भी निर्देश दिए जाएं, उनका पालन करें।

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