भोपाल के भारत भवन की 43वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश-दुनिया की अनेक कला-संस्कृति विधाओं से रूबरू होने कार्यक्रम हुए। साहित्य, इतिहास, सभ्यता और मानवीय इतिहास की अभिव्यक्ति को विविध कलाओं के माध्यम से जानना अच्छा रहा। इस दौरान लेखक अक्षय गुप्ता ने बताया कि पुराण गाथाएं मायथोलॉजी नहीं सत्यलॉजी हैं। यहां सातवें लिट्रेचर एवं आर्ट फ़ैस्टीवेल के 60 सत्रों में अर्थशास्त्रियों, इतिहासविदों, पर्यावरणविदों और कलाकारों से साहित्यकारों ने संवाद किए। कालिदास के ऋतु संहार पर आधारित नाटक संवत्सर कथा की प्रस्तुति पियाल भट्टाचार्य के निर्देशन में हुई। भिलाई के साहित्य संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने भोपाल के सफल साहित्य सांस्कृतिक प्रवास से लौटकर अपने अनुभव शेयर किए। देश-विदेश अनेकानेक सफल शैक्षणिक भ्रमण कर चुके !