एक टेंडर में कर दिया 38 करोड़ का खेला, मोक्षित कारपोरेशन को फायदा पहुंचाने टेंडर की शर्तों का किया खुला उल्लंघन

Spread the love

रीएजेंट्स घोटाले की परत-दर-परत फाइल खुल रही है। EOW ने अपनी जांच रिपोर्ट में पूरी गड़बड़ी के लिए छह अफसरों की जोड़ी को जिम्मेदार ठहराया है। जांच रिपोर्ट में इन अफसरों की कारगुजारियों को भी विस्तृत रूप से बताया गया है। एक-एक अफसरा ने भ्रष्टाचार को अंजाम देने और मोक्षित कारपोरेशन व तीन सहयोगी कंपनियों को अरबों का फायदा पहुंचाने के लिए कैसे बेशर्मी से नियमों व मापदंडों को किनारे किया और किस चालाकी के साथ दूसरी बड़ी कंपनियों को टेंडर की दौड़ से बाहर कर दिया है,सिलसिलेवार रिपोर्ट पेश की गई है। ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति में शामिल दीपक बांधे की भूमिका का विस्तार से खुलासा किया है। बांधे ने टेंडर के नियमों व शर्तों का ना केवल उल्लंघन किया है महत्वपूर्ण मशीन की सप्लाई के लिए आर्डर जारी करने पहले ना तो टेस्टिंग कराई और ना ही गुणवत्ता की जांच कराया है।

Ad

ईओडब्ल्यू की जांच रिपेार्ट में साफ है कि स्पेसिफिकेशन संबंधित दस्तावेजों को समिति के समक्ष विधिवत प्रस्तुत किए बिना ही बांधे ने व्यक्तिगत रूप से सदस्यों से हस्ताक्षर कराया है। इससे सामूहिक विचार-विमर्श की मूल प्रक्रिया निष्क्रिय हो गई, और चयनित उपकरणों के तकनीकी पक्षों की वास्तविक समीक्षा संभव नहीं हो सकी। यह स्पष्ट रूप से एक पूर्वनियोजित योजना का संकेत है, जिसमें समिति को केवल अनुमोदन के औजार के रूप में प्रयुक्त किया गया।

0 बिना जांच के लिए 38 करोड़ के ब्लड सेल काउंटर मशीन की आपूर्ति को कर दिया ओके

शशांक चोपड़ा को लाभ पहुंचाने का सुनियोजित प्रयास दीपक कुमार बांधे द्वारा किया गया। ब्लड सेल काउंटर मशीन (Model Chanda 9904) की आपूर्ति के लिए किए गए प्रोप्राइटरी दावों की तकनीकी वैधता की जांच नहीं की, न ही नियमानुसार प्रक्रिया का पालन किया। M/s Mokshit Corporation द्वारा प्रस्तुत एकपक्षीय दावे को ही सत्य मानते हुए न केवल मशीन को स्वीकृत किया, बल्कि प्रतिस्पर्धी मॉडल (XP-300) की तकनीकी तुलना या मूल्यांकन का कोई प्रयास नहीं किया। यह आचरण स्पष्ट रूप से प्रोप्राइटरी निविदा नीति की अवहेलना एवं पक्षपातपूर्ण निर्णय का द्योतक है। जिससे लगभग 38 करोड़ रूपये के मशीन बिना प्रतिस्पर्धी निविदा की खरीदी कर

आरोपी दीपक बंधे एवं बसंत कौशिक के द्वारा प्रोप्राइटरी आर्टिकल के तहत किये गये निविदा प्रक्रिया में निविदाकार फर्म मोक्षित मेडिकेयर प्राईवेट लिमिटेड द्वारा संलग्न किये गये प्रोप्राईटरी सर्टिफिकेट नियमतः जारी नहीं करने के बावजूद भी दर अनुबंध की कार्यवाही कराई गई। इस प्रकार छग भण्डार क्रय नियम को दर किनार करते हुए लापरवाही किया गया। मोक्षित मेडिकेयर प्राईवेट लिमिटेड के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पीडियाट्रिक डब्ल्यूबीसी डिफेशियल एनालाइजर मशीन के प्रोप्राइटरी आर्टिकल निविदा में जानबूझ कर इडीटीए ट्यूब जोड़ा (शामिल) गया।

दर जस्टिफिकेशन की प्रक्रिया में भी गंभीर लापरवाही बरती। उन्होंने केवल वही दरें निविदा समिति के समक्ष प्रस्तुत कीं, जो सीधे मोक्षित कॉर्पोरेशन या उससे संबंधित संस्थानों से प्राप्त हुई थीं। नियमानुसार उन्हें विभिन्न स्रोतों से तुलनात्मक दरें प्राप्त कर स्वतंत्र रूप से मूल्य सत्यापन कराना था, परंतु उन्होंने जानबूझकर इस प्रक्रिया को दरकिनार किया और समिति से यह तथ्य छिपाया।

0 डायट्रान कंपनी के नाम से किया फर्जीवाड़ा, सरकार को लगाया 1 करोड़ 98 लाख 82 हजार रुपये का चूना

सीजीएमएससीएल को प्रदाय किये गये इडीटीए ट्यूब जो स्वास्थ्य केन्द्रों को डायट्रॉन कंपनी का दर्शाकर वितरित किया गया। विवेचना में पाया गया कि डायट्रॉन कंपनी इडीटीए ट्यूब का निर्माण नही करती है। इन्हें विशेष प्रकार का इडीटीए ट्यूब बताकर वास्तविक मूल्य से कई गुणा अधिक कीमत में कय किया गया। जिससे लगभग 1 करोड़ 98 लाख 82 हजार रुपये का शासन को आर्थिक क्षति पहुंची है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *