एक बार टोकन बांटने के बाद एक घंटे तक बताते नहीं, पूछने जाओ तो कहते हैं अभी इंतजार करिए वीआईपी रोड में स्थित बेबीलॉन टॉवर बिल्डिंग के बेसमेंट पार्किंग माइनस टू में हाई सिक्यूरिटी वाली नंबर प्लेट लगाने के लिए सेटअप लगाया गया है। यहां तक पहुंचने में ही लोग खासे परेशान हो रहे हैं। क्योंकि माइनस टू तक जाने के लिए कोई बोर्ड ही नहीं लगाया गया है। इतना ही नहीं पार्किंग के पूरे रास्ते अंधेरा रहता है। जहां नंबर प्लेट लगाए जा रहे हैं वहां भी पर्याप्त रोशनी नहीं है।
लोग ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेकर आ रहे हैं। उसके बाद भी एक के बाद एक गाड़ियों की लाइन लग रही है। अप्वाइंटमेंट का एसएमएस दिखाने के बाद एक टोकन दिया जाता है। 100 टोकन देने के बाद टोकना बांटना बंद कर देते हैं। इसके बाद आने वाले लोगों से कहते हैं अब एक घंटे बाद टोकन मिलेगा।
ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने के बाद भी टोकने लेने के लिए लोग मजबूरी में वहां बैठे रहते हैं। जहां टोकन दिया जा रहा है वहां केवल एक ही कंप्यूटर का सेटअप लगाया गया है। इसी में सारे काम हो रहे हैं। परेशानी उस समय और बढ़ जा रही थी जब नया आवेदन करने वाले वहां पहुंचते हैं। जब तक उनके आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जा रही थी बाकी लोग उनके पीछे लाइन लगाकर खड़े थे।
- वीआईपी रोड में बेबीलोन टॉवर बिल्डिंग के बेसमेंट माइनस 2 में नंबर प्लेट लगाने पहुंच करीब 60 साल के बुजुर्ग हेमचंद यादव को टोकन नहीं मिला था। कंपनी के प्रतिनिधि से उन्होंने टोकन मांगा तो कहा 100 टोकन बांट चुके हैं। अब एक घंटे बाद ही टोकन देंगे। तब तक इंतजार करिए।
- नंबर प्लेट लगाने के लिए पहुंचे हेमंत साहू ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेकर आए थे। उनके पास दोपहर 12.30 बजे का स्लॉट था। लेकिन 1.30 बजे के बाद भी उनकी गाड़ी का नंबर प्लेट नहीं बदला जा सका था। इंतजार करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था।
- पंडरी में अपनी बारी का इंतजार कर रही भावना सिंह ने बताया कि वे पिछले आधे घंटे से बैठी हैं। उन्हें जरूरी काम से जाना था। सोचा 10 मिनट से ज्यादा नहीं लगेगा। इसलिए आ गई। लेकिन कंपनी के कर्मचारी कंप्यूटर में ही इतना टाइम लगा रहे हैं कि लाइन लंबी हो रही है।
पंडरी में खड़े होना पड़ रहा धूप में नए नंबर प्लेट लगाने के लिए पंडरी बस स्टैंड में भी काउंटर बनाया गया है। काउंटर के बाहर कुर्सियां लगाई गई है। वहां बैठे लोगों ने बताया कि एक से दो घंटे हो गए नंबर ही नहीं आ रहा। थोड़ा आगे गए तो देखा कि यहां भी काउंटर में एक ही कंप्यूटर लगाया गया है। इसी कंप्यूटर में नए आवेदन लेने के साथ ही अप्वाइंटमेंट लेने वालों का भी काम किया जा रहा था। इससे काउंटर से लोग हट ही नहीं पा रहे थे। जिनका नंबर आ जाता उन्हें भी इंतजार करना पड़ता। क्योंकि नंबर प्लेट बाहर से मंगाए जा रहे थे। जब तक नंबर प्लेट नहीं आ जाते लोग वहीं बैठे रहते।
नंबर प्लेट टूटने पर बदलवाने में भी परेशानी गाड़ियों में नंबर प्लेट टूटने या पुरानी होने पर अगर किसी ने बदलकर साधारण नंबर प्लेट लगवा ली है तो ऐसे वाहनों में भी नई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगाई जा रही है। सेंटर जाने वाले लोगों से पुरानी नंबर प्लेट मांगी जा रही है। उनका कहना है कि पुरानी नंबर प्लेट लाने के बाद ही सिस्टम में अपडेट करने बाद उसे रिप्लेस किया जाएगा। वाहन मालिकों के पास पुरानी नंबर प्लेट नहीं है, क्योंकि पहले किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया है। अफसरों के पास भी इस समस्या को दूर करने के लिए कोई विकल्प नहीं है।
कंपनी वालों से कहा है- सेटअप बढ़ाओ
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने जिलों में वाहनों की संख्या के अनुसार एचएसआरपी बनाने वाली मशीनों की संख्या बढ़ाने कहा है। फिटमेंट सेंटरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। हर सेंटर में फिटर भी पर्याप्त रखे जाएंगे। डी रविशंकर, अपर परिवहन आयुक्त