नगरी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर सोमवार को नगरी पहुंचे। जहां वे छत्तीसगढ़ पेंशनर समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण लोकतंत्र को स्थिर, पारदर्शी और सुशासित बनाने की दिशा में वन नेशन, वन इलेक्शन की अवधारणा एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है। इस विचार को जनमानस तक पहुंचाने और व्यापक जनचर्चा के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ पेंशनर समाज, नगरी द्वारा सोमवार को साहू सदन में जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व मंत्री एवं कुरुद विधायक अजय चंद्राकर ने अत्यंत प्रभावशाली और तथ्यों से परिपूर्ण वक्तव्य देते हुए कहा कि, देश में अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव न केवल आर्थिक संसाधनों की बर्बादी करते हैं। बल्कि प्रशासनिक कार्यों, शिक्षा, विकास योजनाओं और मानव संसाधनों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, यह मात्र चुनाव सुधार नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूती देने वाली क्रांतिकारी पहल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह विषय अब राष्ट्रव्यापी विमर्श का विषय बन चुका है। यदि हम इस व्यवस्था को अपनाते हैं तो यह न केवल चुनावी खर्च में हजारों करोड़ रुपये की बचत करेगा, बल्कि शासन व्यवस्था को स्थिरता, निरंतरता और पारदर्शिता भी मिलेगी।
आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य हो जाते हैं ठप
विधायक श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि, भारत में 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते थे। लेकिन बाद के वर्षों में यह परंपरा टूट गई, जिसका असर आज बहुत सारी बातों पर नकारात्मक हो रहा है। आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य ठप पड़ जाते हैं। स्कूल-कॉलेजों के शिक्षक और अधिकारी चुनाव कार्य में लग जाते हैं। जिससे पढ़ाई और प्रशासन दोनों प्रभावित होते हैं। साथ ही कहा कि क्षेत्रीय मुद्दों को उतनी महत्ता नहीं मिल पाती है। उन्होंने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी ने जो साहसिक विचार प्रस्तुत किया है। वह भारत को दुनिया का सबसे प्रगतिशील लोकतंत्र बना सकता है। हमें इसे केवल राजनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखना चाहिए। यह व्यवस्था यदि लागू होती है तो यह एक राष्ट्र-एक पहचान, एक चुनाव-एक सोच, और एक दिशा-एक विकास का सूत्र बन जाएगी।
एक मत होकर करें समर्थन
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से अपील करते हुए कहा कि, वे एकमत होकर इस पहल का समर्थन करें और राष्ट्रपति के पास सामूहिक और व्यक्तिगत राय भेजकर इस विचार को संविधानिक स्वरूप देने के लिए आंदोलन बनाएं। आज जरूरी है कि सामाजिक संगठन, पेंशनर समाज, बुद्धिजीवी वर्ग और जनप्रतिनिधि इस सुधार की अलख जन-जन तक पहुंचाएं। ताकि देश की भावी पीढ़ी एक स्थिर और समृद्ध लोकतंत्र की नींव पर खड़ी हो सके।
समाज के लोगों ने दिया समर्थन
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के तैलचित्र पर माल्यार्पण से हुई। छत्तीसगढ़ पेंशनर समाज, नगरी के अध्यक्ष आर.एल. देव ने अपने विचार में कहा कि देश में बार-बार होने वाले चुनावों से नीति निर्माण में बाधा आती है। एकसमान चुनाव व्यवस्था से संसाधनों की बचत होगी और लोकतांत्रिक प्रणाली सशक्त होगी। समाज के लगभग 900 सदस्य ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन करते हैं।
सरकारों को बिना दबाव काम करने का मिलेगा मौका
संगोष्ठी में कांकेर लोकसभा सांसद भोजराज नाग एवं महासमुंद लोकसभा सांसद रूपकुमारी चौधरी ने कहा कि एक साथ चुनाव होने से सरकारों को पाँच साल तक बिना किसी राजनैतिक दबाव के काम करने का अवसर मिलेगा। इससे नीति- निर्माण में निरंतरता आएगी और शासन तंत्र अधिक उत्तरदायी बनेगा।
ये नेता और वरिष्ठ लोग रहे उपस्थित
कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश बैस, छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष नेहरू निषाद, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा, जनपद अध्यक्ष नगरी महेश गोटा, जनपद अध्यक्ष धमतरी अंगीरा, पूर्व विधायक पिंकी शाह और श्रवण मरकाम मंचासीन रहे। इसके अलावा जिला पंचायत सभापति अजय ध्रुव,नगर पंचायत नगरी अध्यक्ष बलजीत छाबड़ा, उपाध्यक्ष विकास बोहरा, जनपद उपाध्यक्ष हृदय साहू, भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय शांडियाल, मनोहर मानिकपुरी, महामंत्री वासु साहू, सोशल मीडिया प्रभारी दानवीर मरकाम, युवा नेता महामंत्री रूपेंद्र साहू, वरिष्ठ भाजपा नेता कवींद्र जैन, विकल गुप्ता, कमल डागा, अकबर कश्यप, मोहन नाहटा, विजय यदु, नरेश सिन्हा, राजेश नाथ गोसाईं, प्रवीण गुप्ता, सुलोचना साहू, चमेली साहू, दीपक साहू, रामगोपाल साहू,सहित अनेक प्रमुख जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक उपस्थित रहे।