नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित को कांग्रेस पार्टी ने निकाल दिया है। दरअसल, कृष्णराव दीक्षित ने पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना की थी, साथ ही केंद्र की मोदी सरकार की तारीफ भी की थी। दीक्षित के इस रवैय्ये पर पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी कर कीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा था। हालांकि, नोटिस मिलने के बाद भी दीक्षित अपने बयान पर कायम रहे, जिसका खामियाजा ये रहा कि कांग्रेस ने नेता के रवैय्ये को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाते हुए निष्कासित कर दिया है। यह भी पढ़ें- Ladli Behna Yojana : खाते पर रखें नजर, 24वीं किस्त के 1250 रुपए का मैसेज आने वाला है साक्षात्कार पर मचा बवाल कांग्रेस अनुशासन समिति ने दीक्षित को भेजे नोटिस में कहा कि, उनके साक्षात्कार एवं साक्षात्कार के ऑडियो को कांग्रेस अनुशासन समिति ने पढ़ा एवं ऑडियो सुना, जिसमें कहा गया है कि, कांग्रेस पर कम्युनिस्ट विचारधारा हावी हो गई है और कांग्रेस अपनी विचारधारा से भटक गई है, उनके द्वारा साम्प्रदायिक ताकतों को समाज व राष्ट्र के हित में बताया गया है, कांग्रेस के नीतिगत निर्णय जो वफ्फ बोर्ड के सबंध में लिया गया था, उसका भी उनके द्वारा विरोध किया गया। उनके द्वारा अपनी बात पार्टी मंच पर न रखते हुए इस तरह का साक्षात्कार देना कांग्रेस संविधान के अनुसार अनुशासनहीनता की परिधि में आता है। पार्टी ने 3 दिन में जवाब देने को कहा था शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा के निर्देश पर अनुशासन समिति ने निर्णय लिया था कि दीक्षित अपने इस कथन पर 3 दिन में स्पष्टीकरण जिला कांग्रेस कार्यालय में पेश करें, लेकिन तीन दिन बाद भी दीक्षित अपने बयान पर अड़िग रहे, जिसके चलते जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकाल दिया गया है। यह भी पढ़ें- इस दिन शुरु हो रही इंदौर मेट्रो! पीएम मोदी दिखाएंगे हरी झंडी, बड़े आयोजन की तैयारी भाजपा में शामिल हो सकते हैं दीक्षित वहीं, अब ऐसी चर्चा भी जोरों पर है कि, ग्वालियर कांग्रेस के पूर्व नेता कृष्णराव दीक्षित जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि, कृष्णराव दीक्षित को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बेहद करीबी बताया जाता है।

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 रायपुर। कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में हाल ही में चले सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान ने छत्तीसगढ़ में उग्रवाद के किले को हिलाकर रख दिया है। इस ऐतिहासिक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 31 खूंखार नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें संगठन के उच्च रैंक—ACM और DVCM स्तर के कैडर शामिल थे। अब, इस ऐतिहासिक सफलता को स्थायी बदलाव में बदलने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वयं मौके पर पहुँचकर बहादुर जवानों से न केवल मुलाक़ात कर उनका मनोबल बढ़ाएंगे बल्कि आगे की रणनीतिक चर्चा करेंगे।

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मुख्यमंत्री आज बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमाओं पर स्थित गलगम के सीआरपीएफ कैंप पहुंच रहे हैं—सिर्फ जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हीं जांबाज़ों के साथ बैठकर अगली रणनीति तय करने के लिए। इस यात्रा का असल मकसद कर्रेगुट्टा जैसे रणनीतिक क्षेत्र में मिली सैन्य जीत को विकास और स्थायी शांति में बदलना है।

यह इलाका अब तक नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता था, लेकिन यहां से 450 से ज्यादा IED डिफ्यूज किए गए, बड़ी मात्रा में हथियार और पहली बार नक्सलियों द्वारा तैयार की गई दो मेगा स्नाइपर गन जब्त हुई। यह संकेत है कि नक्सल आंदोलन न केवल कमज़ोर हुआ है, बल्कि पहली बार घबराहट में है। ऐसे में मुख्यमंत्री की यह यात्रा आने वाले महीनों में नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में निर्णायक मानी जा रही है।

शाम को बीजापुर में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री न केवल सुरक्षा अभियान की समीक्षा करेंगे, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, संचार और युवाओं के लिए रोजगार जैसे विकास कार्यों की भी गहराई से समीक्षा करेंगे। स्पष्ट है कि सरकार नक्सलवाद को दोतरफा जवाब दे रही है—एक तरफ सटीक पुलिस बल कार्रवाई, और दूसरी तरफ तेज़तर्रार विकास योजनाएं।

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