रायपुर में कोरोना का पहला मरीज मिला, देश में अभी 257 से ज्यादा एक्टिव केस

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 राजधानी में कोरोना का पहला मरीज मिल गया है। मरीज का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है। केरल व दूसरे राज्यों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 22 मई को पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में डीन चेस्ट, माइक्रो बायोलॉजी, मेडिसिन व क्रिटिकल केयर विभाग के डॉक्टरों की बैठक भी लेंगे, ताकि किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटा जा सके। केंद्र सरकार से फिलहाल कोरोना को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं आई है, लेकिन तैयारी रखने व सतर्क रहने को कहा गया है।

राजधानी में दो दिन पहले एक मरीज को कोरोना की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर 4 से 5 दिन लगातार बुखार आ रहा है, गले में खराश, खांसी है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है, शरीर में दर्द व थकान है या ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है तो तत्काल कोरोना जांच की जरूरत है। नेहरू मेडिकल कॉलेज में यह जांच फ्री होती है और जांच के लिए पर्याप्त आरटीपीसीआर किट भी उपलब्ध है। आंबेडकर अस्पताल के चेस्ट व मेडिसिन विभाग में ऐसे केस आए हैं, जिनके लक्षण बिल्कुल कोरोना की तरह है। चेस्ट सीटी में फेफड़े में धब्बे भी दिख रहे हैं, लेकिन जांच में रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह वायरल निमोनिया है।
तैयारियों व व्यवस्था को लेकर आज नेहरू मेडिकल कॉलेज में बैठक 

नेहरू मेडिकल कॉलेज समेत एम्स में वायरोलॉजी लैब उपलब्ध है। यहां जांच के लिए आरटीपीसीआर किट भी उपलब्ध है। नेहरू मेडिकल कॉलेज में माइक्रो बायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. निकिता शेरवानी के अनुसार किट पर्याप्त संख्या में है। अभी किसी मरीज की जांच नहीं की गई है। सैंपल आएंगे तो जांच की पूरी व्यवस्था है। दरअसल, प्रदेश में एक केस मिलने के कारण सैंपलिंग अभी शुरू नहीं हुई है।

राजधानी में कोरोना का एक मरीज मिला है, जो खतरे से बाहर है। जांच में अगर कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीज आ रहे हैं और आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट नेगेटिव है तो यह वायरल निमोनिया हो सकता है। लगातार बुखार, सांस लेने में तकलीफ व गले में खराश है तो जांच कराएं। भीड़भाड़ से बचें, मास्क पहनें और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाएं। डरें नहीं और न घबराएं।
जांच के लिए वायरोलॉजी लैब उपलब्ध 

डॉक्टरों का कहना है कि सिंगापुर व हांगकांग में फैले वायरस के जेएन 1 तथा एलएफ 7 वेरिएंट भारत में पहुंच चुका है। हालांकि इसकी पुष्टि के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने पहले ही जेएन 1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर दिया है। यह वेरिएंट मौजूदा वैक्सीनेशन या पूर्व संक्रमण से बनी इम्युनिटी को चकमा देने में सक्षम है। हालांकि डब्ल्यूएचआ की मानें तो मोनोवैलेंट बूस्टर से कुछ हद तक सुरक्षा मिल सकती है, लेकिन भारत में यह बूस्टर अभी ज्यादा उपलब्ध नहीं है। देश में कोरोना के मरीज भले ही कम हैं, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियात के तौर पर फिर से अपना कोविड-19 डैशबोर्ड चालू कर दिया है। देश में अभी 257 से ज्यादा एक्टिव केस हैं।

-डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट,नेहरू मेडिकल कॉलेज 

प्रदेश में एक केस मिलना ज्यादा खतरनाक नहीं है, फिर भी लोगों को जरूरी सावधानी बरतनी होगी। केंद्र से अभी इलाज के लिए कोई गाइडलाइन नहीं आई है। री-वैक्सीनेशन के बारे में भी कोई सूचना नहीं है।

  • डॉ. सुरेंद्र पामभोई, स्टेट नोडल अफसर, महामारी नियंत्रण

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