डीकेएस में तीन फिजियोथैरेपिस्ट की भर्ती प्रक्रिया अटकी, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

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डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फिजियोथैरेपिस्ट नहीं होने से पूरा दबाव आंबेडकर अस्पताल पर आ गया है। प्रतिदिन 20 से ज्यादा मरीजों को डीकेएस से आंबेडकर फिजियोथैरेपी के लिए भेजा जा रहा है। आंबेडकर के 50 से ज्यादा मरीजों की फिजियोथैरेपी रोजाना की जा रही है। डीकेएस अस्पताल में चार पदों के लिए 163 आवेदन मिले थे। वहीं लिखित परीक्षा में 136 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। चयन सूची इसलिए जारी नहीं की जा सकी है, क्योंकि मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।

अब न केवल हड्डी के मरीजों को बल्कि न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, ऑब्स एंड गायनी व साइकेट्री के मरीजों को भी फिजियोथैरेपी कराने की जरूरत पड़ती है। गर्दन में जकड़न हो या पैरों, कंधों या गर्दन में दर्द, फिजियोथैरेपी से ठीक होता है। आंबेडकर के ऑर्थोपीडिक ओपीडी वाले हिस्से में फिजियोथैरेपी कॉलेज का बड़ा सेटअप है। कर्मचारी कॉलेज व अस्पताल के होते हैं, जो फिजियोथैरेपी करते हैं।
संविदा फिजियोथैरेपिस्ट को हर माह 52 हजार 

संविदा फिजियोथैरेपिस्ट को हर माह 52 हजार रुपए वेतन दिया जाएगा। ये वेतन नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ में सबसे ज्यादा है। यही कारण है कि संविदा पद के लिए अभ्यर्थियों की लंबी लाइन लग गई है। ४ पदों में दो जनरल, एक एसटी व एक ओबीसी के लिए आरक्षित है। अस्पताल में पहले चार संविदा फिजियोथैरेपिस्ट सेवाएं दे रहे थे, जो जनरल कैटेगरी के थे। अस्पताल प्रबंधन ने पुराने फिजियोथैरेपिस्ट की सेवा खत्म कर 16 जुलाई को भर्ती के लिए आवेदन मंगाना शुरू किया था।

पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने फिजियोथैरेपिस्ट की भर्ती जनवरी में रद्द कर दी। इसका कारण अपरिहार्य बताया गया। एक पद के लिए पिछले साल 20 दिसंबर को हुए वॉक इन इंटरव्यू में 37 अभ्यर्थी आए थे। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आने के बाद मेरिट के आधार पर चयन होना था, लेकिन प्रबंधन ने भर्ती ही रद्द कर दी। दूसरी ओर डीकेएस में फिजियोथैरेपिस्ट के चार पदों में भर्ती के लिए 24 नवंबर को लिखित परीक्षा हुई। केवल चार पदों के लिए रेकॉर्ड 163 आवेदन मिले थे।

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