रायपुर। आने वाले दिनों में लोगों को दांतों से संबंधित बीमारियों का शहीद वीरनारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य सहायता योजना से निशुल्क उपचार का लाभ मिल सकता है। प्रारंभिक विचार के मुताबिक आयुष्मान योजना में इसका पैकेज सरकारी अस्पतालों के लिये रिजर्व किया जा सकता है दांतों की बीमारी को पैकेज में जोड़ने के लिए शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय से प्रस्ताव के साथ बीमारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है। निजी अस्पतालों में दांतों के इलाज के नाम पर होने वाले तोड़-मरोड़ की लंबी शिकायतों के बाद इसे स्वास्थ्य योजना के पैकेज से हटा दिया गया था। आयुष्मान योजना में शामिल नहीं होने की वजह मरीजों को दांतों की छोटी से लेकर बड़ी समस्या के इलाज के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। एकमात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के उपचार का शुल्क तो कम है, मगर निजी डेंटल क्लीनिकों में इसके लिए मोटी फीस देनी पड़ती है।
स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने में गंभीरता दिखा रही प्रदेश सरकार ने दांतों की बीमारी की भी सुध ली है। आने वाले समय में मरीजों को दांतों के इलाज की निशुल्क सुविधा सरकारी अस्पताल में मिलने की संभावना है। इसके लिए प्रारंभिक स्तर पर तैयारी शुरू की जा चुकी है और बीमारियों की जानकारी के साथ शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय से प्रस्ताव मांगा गया है। जानकारी के आधार पर इसका परीक्षण किया जाएगा, फिर आयुष्मान योजना में इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शुक्रवार को हुई स्वशासी समिति की बैठक में शासकीय डेंटल कालेज की सुविधा बढ़ाने के लिए स्वशासी समिति में निर्देश जारी किया जा चुका है। जरूरी मशीनों को एक नियत समय में महाविद्यालय को उपलब्ध कराने की हिदायत भी दी जा चुकी है।
हेल्थ सेंटर में सीमित उपचार
दांतों की बीमारी के इलाज के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और हमर अस्पताल में डेंटिस्टों की नियुक्ति की गई है, मगर वहां इलाज दांतों की जांच और तोड़ने से आगे नहीं बढ़ पाई है। इसकी एकमात्र वजह उपचार के लिए पर्याप्त संसाधन और दवा उपलब्ध नहीं कराना है। दांतों के इलाज की औपचारिकता पूरी करने के लिए वहां हर महीने करीब दस हजार का फंड रिलीज किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि वहां भी आवश्यक सुविधाएं दी जानी चाहिए, ताकि दंत रोगियों को प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जा सके।
विचार किया जा रहा
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि, दांतों के इलाज की सुविधा को आयुष्मान में शामिल किये जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए बीमारियों की जानकारी लेकर परीक्षण किया जाएगा। प्रदेश सरकार निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा पर विशेष ध्यान दे रही है।
दांतों के तार लगने की ढेरों शिकायत पर एक्शन
वर्ष 2019 के पूर्व स्वास्थ्य सहायता योजना के पैकेज में दांतों की बीमारी शामिल थी। ज्यादा लाभ के चक्कर में निजी डेंटिस्टों द्वारा मरीजों के दांतों का बिना जरूरत के इलाज करना शुरू कर दिया गया था। सबसे ज्यादा शिकायत दांतों को टेढ़ा मेढ़ा बताकर उसे तार से बांधने की प्रक्रिया पूरी की जाने लगी। आने वाले सबसे ज्यादा क्लेम के बाद मामले की जांच हुई और गड़बड़ी का पता लगते ही इस बीमारी को पैकेज से हटा दिया गया था। वर्तमान में दांतों से संबंधित बीमारी काफी ज्यादा सामने आने लगी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इस बीमारी को आयुष्मान योजना में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।
जानकारी मांगी गई
शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विरेन्द्र वाढेर ने बताया कि, स्वशासी समिति की बैठक के दौरान दांतों की बीमारी तथा मौजूदा उपचार व्यवस्था की जानकारी मांगी गई है। अभी मरीजों से जांच के लिये निर्धारित शुल्क लिया जाता है।