भिलाई शहर में लकड़बग्घा दिखने से हड़कंप, वन विभाग ने किया अलर्ट जारी
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई शहर में एक लकड़बग्घा (हाइना) के घूमते हुए देखे जाने की घटना ने शहरवासियों को चौंका दिया है। यह घटना बुधवार की रात की है जब भिलाई के टाउनशिप एरिया में यह जंगली जानवर देखा गया। इसके बाद से इस जानवर का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वन विभाग और भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) प्रशासन ने इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए लोगों को सतर्क और सावधान रहने की सलाह दी है।
दो वीडियो आए सामने, जंगल से भटककर आया हो सकता है लकड़बग्घा
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लकड़बग्घे को दो अलग-अलग जगहों पर देखा गया है:
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मुर्गा चौक (सेक्टर-1) के पास – यह इलाका एक रिहायशी क्षेत्र है।
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भिलाई स्टील प्लांट के रेलवे रेक क्षेत्र में – यह क्षेत्र थोड़ी वीरान और जंगल जैसी बनावट वाला है।
वन विभाग को इस घटना की जानकारी मिल चुकी है और उनकी टीमें मौके पर जाकर निरीक्षण कर रही हैं। विभाग का कहना है कि यह लकड़बग्घा शायद भोजन की तलाश में जंगल से भटक कर भिलाई टाउनशिप की ओर आ गया होगा।
रात 1 बजे का है वीडियो, युवक ने बनाया वीडियो
इस घटना से जुड़ा एक खास वीडियो 28 मई की रात करीब 1 बजे का बताया जा रहा है। वीडियो में लकड़बग्घा, सेक्टर-1 स्थित मुर्गा चौक (एक्यूपमेंट चौक) के पास घूमता हुआ साफ नजर आ रहा है। यह इलाका उस समय बिल्कुल सुनसान था और वहां से गुजर रहे एक युवक ने तेजी से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया।
लोगों को दी गई सावधानी बरतने की सलाह
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, लकड़बग्घा सामान्य परिस्थितियों में इंसानों पर हमला नहीं करता। लेकिन अगर उसे भोजन नहीं मिले या वह खुद को खतरे में महसूस करे, तो वह हमला कर सकता है। इसलिए लोगों से अपील की गई है कि वे रात के समय अकेले न निकलें और बच्चों या पालतू जानवरों को बाहर न जाने दें।
विशेष रूप से टाउनशिप क्षेत्र में रहने वाले लोग ज्यादा सतर्क रहें, क्योंकि यह इलाका लकड़बग्घे की देखा-देखी की मुख्य जगहों में से एक रहा है।
दिन में भी लकड़बग्घा देखा गया था
यह केवल रात की ही बात नहीं है। दिन के समय भी लकड़बग्घे को बीएसपी के क्षेत्र में देखा गया था। इससे साफ होता है कि यह जानवर इलाके में ही घूम रहा है और अब भी पकड़ा नहीं गया है।
वन विभाग ने अपनी टीमों को उसकी तलाश में लगाया है और ट्रैकिंग कैमरे लगाने की योजना भी बनाई गई है, ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
भिलाई में पहले भी घुस चुके हैं जंगली जानवर
यह पहली बार नहीं है जब भिलाई स्टील प्लांट और उसके आस-पास के क्षेत्र में जंगली जानवरों की आवाजाही देखी गई हो। चार महीने पहले एक तेंदुए को भी भिलाई में देखा गया था। उस घटना में तेंदुआ गाय का मांस खाते हुए कैमरे में कैद हुआ था।
यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद वन विभाग और बीएसपी प्रशासन ने मिलकर ट्रैप कैमरे लगाए थे और तेंदुए की तलाश शुरू की थी।
तेंदुए को लेकर भी मचा था भ्रम
तेंदुए की घटना के बाद बीएसपी और वन विभाग ने अलग-अलग बयान दिए थे, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बन गई थी।
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वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि तेंदुआ संभवतः दल्ली राजहरा से ट्रेन के जरिए भिलाई आया होगा।
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उन्होंने दावा किया था कि ट्रैप कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हुई है।
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वहीं, बीएसपी उद्यान के प्रभारी डॉ. एनके जैन ने यह कहा था कि जो वीडियो वायरल हुआ है वो किसी और जगह का है और वह करीब एक महीने पुराना है।
इस तरह की अस्पष्ट जानकारियों से लोग भ्रमित होते हैं, इसलिए इस बार प्रशासन ज्यादा सतर्क दिखाई दे रहा है।
लकड़बग्घा क्या होता है और क्या यह खतरनाक है?
लकड़बग्घा, जिसे अंग्रेजी में Hyena कहा जाता है, एक मांसाहारी जानवर होता है। इसकी खासियत है इसकी तेज सुनने और सूंघने की क्षमता। यह आमतौर पर मरे हुए जानवरों को खाता है, लेकिन अगर भूख बहुत ज्यादा हो, तो यह छोटे जानवरों और कभी-कभी इंसानों पर भी हमला कर सकता है।
हालांकि भारत में लकड़बग्घे के इंसानों पर हमले की घटनाएं बहुत कम होती हैं। फिर भी, जब कोई जंगली जानवर रिहायशी इलाके में आ जाता है, तो आशंका और डर का माहौल बनना स्वाभाविक है।
प्रशासन की कार्रवाई और आम जनता के लिए निर्देश
भिलाई नगर निगम, बीएसपी प्रबंधन और वन विभाग ने संयुक्त रूप से टीम बनाकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। साथ ही, लोगों को भी कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करने के लिए कहा गया है:
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रात के समय अकेले बाहर न निकलें।
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बच्चों और पालतू जानवरों को घर के बाहर न जाने दें।
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यदि लकड़बग्घा दिखाई दे तो तुरंत वन विभाग या पुलिस को सूचना दें।
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सोशल मीडिया पर अफवाह न फैलाएं और सिर्फ प्रमाणिक स्रोतों से ही जानकारी लें।
निष्कर्ष:
भिलाई जैसे औद्योगिक और शहरीकृत क्षेत्र में लकड़बग्घे जैसे जंगली जानवर का दिखना एक गंभीर संकेत है कि हमारे जंगलों का दायरा कम हो रहा है या भोजन की उपलब्धता वहां नहीं है।
ऐसे में, यह जरूरी है कि हम न केवल सतर्क रहें, बल्कि वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और संरक्षित क्षेत्रों को बचाएं, ताकि वे रिहायशी इलाकों में आकर खतरा न बनें।