दुर्ग रेंज पुलिस ने की 250 से अधिक प्रकरणों की समीक्षा, झूठी शिकायतों पर कड़ा एक्शन का निर्देश

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दुर्ग रेंज पुलिस का विशेष अभियान – दोषमुक्त मामलों की गहराई से जांच

दुर्ग रेंज पुलिस महानिरीक्षक (IG) श्री रामगोपाल गर्ग (भारतीय पुलिस सेवा) ने 29 मई 2025 को अपने कार्यालय के सभागार कक्ष में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में रेंज स्तर पर 250 से अधिक मामलों की बारीकी से समीक्षा की गई। यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली।

बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि अदालतों द्वारा जिन मामलों में आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है, उनके पीछे के कारणों को समझा जाए। साथ ही, जिन वजहों से अदालतों में मुकदमे कमजोर हो रहे हैं, उन पर कड़ा एक्शन लिया जाए।

समीक्षा के दौरान खास तौर पर महिला एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों, पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत दर्ज मामलों, हत्या और हत्या के प्रयास के मामलों, एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के मामलों और चिटफंड घोटालों पर चर्चा हुई। पुलिस महानिरीक्षक ने इन गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए।

गवाहों और पीड़ितों का सहयोग जरूरी

बैठक में IG श्री गर्ग ने कहा कि न्यायालय में दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए गवाहों और पीड़ितों के बयान मजबूत होने चाहिए। इसके लिए विवेचकों (जांच अधिकारियों) को निर्देश दिए गए कि वे गवाहों और प्रार्थियों से लगातार संपर्क में रहें। इससे वे न्यायालय में अपने पहले के बयान पर दृढ़ रह सकें और अभियोजन (Prosecution) की स्थिति मजबूत हो सके।

IG ने जोर देकर कहा कि कई बार गवाह या पीड़ित डर जाते हैं या बदल जाते हैं (होस्टाइल हो जाते हैं)। ऐसे मामलों में अदालत में उनका बयान कमजोर हो जाता है। इसलिए विवेचकों को निर्देश दिया गया कि वे गवाहों का मनोबल बढ़ाएं और उन्हें कानून की प्रक्रिया के बारे में समझाएं।

सबूत इकट्ठा करने में लापरवाही नहीं चलेगी

IG ने कहा कि गंभीर अपराधों में सबूतों का सही तरह से इकट्ठा किया जाना बेहद जरूरी है। जैसे कि घटनास्थल की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करना, फायर आर्म्स या धारदार हथियारों से फिंगर प्रिंट इकट्ठा करना, सीसीटीवी फुटेज जब्त करना और उसका प्रमाणपत्र लेना। इस सबकी प्रक्रिया में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। इन सभी सबूतों से अदालत में अभियोजन पक्ष का पक्ष मजबूत होता है और आरोपी को उचित सजा दिलाई जा सकती है।

इसके अलावा, विवेचकों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे समय-समय पर गवाहों और पीड़ितों को अदालत में पेश होने और बयान देने के लिए प्रेरित करें। इस तरह से अपराधी को उसके अपराध की सही सजा दिलाना संभव हो सकेगा।

महिला एवं बच्चों के मामलों में विशेष सख्ती

बैठक के दौरान महिला और बच्चों से जुड़े गंभीर अपराधों पर विशेष जोर दिया गया। IG ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत आने वाले मामलों में एफआईआर के बाद 60 दिन के भीतर चालान (Chargesheet) प्रस्तुत करना अनिवार्य है। अगर विवेचक इस अवधि में चालान नहीं पेश कर पाते, तो ऐसे मामलों में अदालत से सख्त कार्रवाई हो सकती है। इसलिए इन मामलों में समय सीमा का पालन करना जरूरी है।

इसके अलावा IG ने कहा कि अगर पीड़िता या प्रार्थी ने अपने बयान को न्यायालय में दर्ज करा दिया है और ट्रायल के दौरान वो बयान बदल देते हैं, तो उनके खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए अभियोजन अधिकारियों को अदालत में आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

झूठी शिकायत करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

एक और अहम बिंदु जो बैठक में सामने आया – झूठी शिकायतें और निर्दोष लोगों को फंसाने के मामले। IG ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसे लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभियोजन अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि ऐसे मामलों में अदालत में प्रतिवेदन प्रस्तुत कर कार्रवाई की जाए। इससे निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसने से बचाया जा सकेगा और झूठी शिकायतों पर अंकुश लगेगा।

IG ने बताया कि झूठी शिकायतों के कारण असली मामलों में न्याय प्रक्रिया कमजोर होती है और असली अपराधियों को सजा मिलने में दिक्कत आती है। इसलिए झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जाएगा।

बैठक में मौजूद अधिकारी

इस बैठक में कई महत्वपूर्ण अधिकारी उपस्थित रहे। इनमें शामिल हैं –

  • संयुक्त संचालक अभियोजन दुर्ग – श्री एस.एस. ध्रुव

  • उप संचालक दुर्ग – श्री सुनील चौरसिया

  • उप संचालक बालोद – श्री प्रेमेंद्र बैसवाड़े

  • उप संचालक बेमेतरा – श्रीमती कंचन पाटिल

  • अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दुर्ग – श्रीमती पद्मश्री तंवर

  • अति. पुलिस अधीक्षक बेमेतरा – श्रीमती ज्योति सिंह

  • अति. पुलिस अधीक्षक बालोद – श्रीमती मोनिका ठाकुर

  • उप पुलिस अधीक्षक – श्रीमती शिल्पा साहू

  • उप निरीक्षक – श्री राजकुमार प्रधान

  • डाटा एंट्री ऑपरेटर – श्रीमती तेजस्वी गौतम

  • पुलिस पी.आर.ओ. – श्री प्रशांत कुमार शुक्ला

इन सभी अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लेकर समीक्षा प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया। सभी ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी के अनुसार विचार रखे और अभियोजन की मजबूती के लिए अहम सुझाव भी दिए।

निष्कर्ष – न्याय की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम

इस समीक्षा बैठक के जरिए दुर्ग रेंज पुलिस ने साफ कर दिया कि न्याय की प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए दोषमुक्त मामलों की गहराई से समीक्षा जरूरी है। महिला एवं बच्चों के मामलों से लेकर गंभीर अपराधों तक, पुलिस और अभियोजन पक्ष ने ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया। झूठी शिकायतों पर सख्त एक्शन, गवाहों की सुरक्षा और मनोबल बढ़ाने, सबूतों के सही संकलन और अदालत में मजबूती से पेश करने जैसे बिंदुओं पर विशेष जोर दिया गया। इस पहल से उम्मीद है कि अपराधियों को उनके अपराध के लिए सख्त सजा मिलेगी और समाज में न्याय और कानून व्यवस्था को और सशक्त बनाया जा सकेगा।

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