छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले के आरोपी आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया सहित कई लोगों को मिली जमानत, राज्य से बाहर रहने का आदेश

Spread the love

हाइलाइटेड प्वाइंट्स:
✅ छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले के आरोपी 6 प्रमुख लोगों को जेल से रिहाई।
✅ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी को राज्य से बाहर रहने और नया पता बताने का आदेश।
✅ ईडी का दावा- 570 करोड़ रुपये का अवैध वसूली घोटाला।
✅ सिंडिकेट बनाकर हुआ था ये घोटाला, सूर्यकांत तिवारी मुख्य मास्टरमाइंड।
✅ 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर, जिनमें 2 पूर्व मंत्री और विधायक भी शामिल।
✅ ईडी ने 50 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की, अब तक 300 करोड़ से ज्यादा अटैच।


सरल हिंदी में विस्तृत विवरण (1000+ शब्द)

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले के मामले में आज एक बड़ी खबर सामने आई है। इस मामले में आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, समीर विश्नोई, पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया, रजनीकांत तिवारी, वीरेन्द्र जायसवाल और संदीप नायक को आखिरकार जेल से रिहा कर दिया गया है। इन सभी की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई है।

गौरतलब है कि सौम्या चौरसिया को दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। वहीं, रानू साहू की गिरफ्तारी जुलाई 2023 में हुई थी। ये लोग लंबे समय से जेल में बंद थे और इनकी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने सभी आरोपियों को ये शर्त रखते हुए जमानत दी कि वे छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं रहेंगे। कोर्ट को आशंका थी कि ये लोग राज्य में रहकर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए सभी को राज्य से बाहर रहने का सख्त निर्देश दिया गया है।

इसके अलावा कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी आरोपी अपना पासपोर्ट जमा करेंगे और राज्य से बाहर जहां भी रहेंगे, उस पते की जानकारी थाने में देंगे। रिहाई के बाद इन्हें अपनी नई लोकेशन की जानकारी एक हफ्ते के अंदर पुलिस को देनी होगी।

कोयला घोटाले के आरोपियों की जेल से रिहाई के दृश्य
रायपुर सेंट्रल जेल के बाहर रिहाई के बाद सभी आरोपी नजर आए। मीडियाकर्मियों ने जैसे ही वीडियो बनाना शुरू किया, समीर विश्नोई ने वीडियो बनाने से मना कर दिया। इसी तरह जेल परिसर में मीडियाकर्मियों को वीडियो बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

घोटाले की पूरी कहानी
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 570 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला हुआ। इस घोटाले में कोयले के व्यापारियों से अवैध वसूली की गई। कोल कारोबारियों को कोल परमिट जारी करने के नाम पर भारी-भरकम लेवी वसूली गई।

ईडी की जांच में सामने आया कि इस घोटाले में 36 लोगों का नाम सामने आया है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें दो पूर्व मंत्री, कुछ विधायक और कई अन्य सरकारी अधिकारी शामिल हैं।

कैसे हुआ ये घोटाला?
कोयला घोटाला बेहद सुनियोजित तरीके से हुआ। पहले ऑनलाइन परमिट व्यवस्था को जानबूझकर ऑफलाइन कर दिया गया। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को एक आदेश जारी किया, जिसमें ऑनलाइन परमिट व्यवस्था को बंद कर दिया गया। इसके बाद सिंडिकेट बनाकर कोल कारोबारियों से जबरन वसूली की गई।

कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है। व्यापारी हर टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध वसूली करता था और यह रकम सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के पास जमा होती थी। इसके बदले में उन्हें पीट पास और ट्रांसपोर्ट पास जारी किया जाता था।

इस घोटाले से सरकारी खजाने को तो नुकसान हुआ ही, साथ ही कोयला कारोबारियों पर भी भारी दबाव पड़ा। ईडी ने पहले आईएएस समीर विश्नोई और फिर कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था।

जेल में बंद आरोपी
इस घोटाले में कई बड़े नाम जेल में बंद थे। इनमें शामिल हैं:

  • निलंबित IAS रानू साहू

  • समीर विश्नोई

  • पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया

  • कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी

  • संदीप नायक

  • लक्ष्मीकांत

  • शिव शंकर नाग

  • मोइनुद्दीन कुरैशी

  • रोशन सिंह

  • निखिल चंद्राकर

  • परेश कुर्रे

  • राहुल कुमार

  • वीरेंद्र जायसवाल

  • हेमंत जायसवाल

  • चंद्र प्रकाश जायसवाल
    इन सभी के खिलाफ ईडी ने कड़ी जांच की और अदालत में सबूत पेश किए।

ईडी ने की 50 करोड़ की संपत्ति सीज
ईडी की कार्रवाई यहीं नहीं रुकी। घोटाले से जुड़े आरोपियों की 100 से ज्यादा चल और अचल संपत्तियों को भी सीज किया गया। इनमें बैंक खाते, गाड़ियां, नगदी, जेवर और जमीन शामिल हैं। इनकी कुल कीमत करीब 50 करोड़ रुपये है। ईडी का कहना है कि अब तक 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।

ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछली सरकार के कुछ नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से ये सारा खेल हुआ। कोल कारोबारियों से जबरन पैसे वसूले गए और उन्हें परमिट जारी किए गए।

एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच तेज
ईडी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य की एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने भी जांच शुरू कर दी है। 36 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है। अब एसीबी की टीम ने जांच को तेज कर दिया है।

घोटाले में फंसी सरकार और सिस्टम
इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ सरकार और खनिज विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि सरकारी तंत्र की मिलीभगत से कोल कारोबारियों को दोनों हाथों से लूटा गया। इस मामले में कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी जांच चल रही है।

आगे क्या होगा?
कोर्ट ने सभी आरोपियों को राज्य से बाहर रहने का आदेश दिया है। साथ ही जांच एजेंसी को पूरी तरह सहयोग करने का निर्देश दिया गया है। फिलहाल जांच एजेंसियों की नजर इन सभी आरोपियों की गतिविधियों पर बनी हुई है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो कई बड़े नामों को लंबी सजा भी हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *