छत्तीसगढ़ का दूसरा बौद्ध स्थल बनेगा भोंगापाल: कलिंगा जीतने के बाद यहां आए थे सम्राट अशोक

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जगदलपुर। बस्तर में जगह-जगह पुरातात्विक और रियासतकालीन अवशेष बिखरे पड़े हैं, जिसे सहेजने और संवारने की जरूरत है। कोंडागांव जिले के केशकाल क्षेत्र में भोंगापाल एक ऐसा गांव है, जहां दो हजार साल पहले छिंदक नागवंशी जमाने में यह समृद्धशाली राज्य था। जहां बुद्ध और शिव की मूर्ति मिली है, इससे साबित होता है कि उस समय दो अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के बीच सामंजस्यता के साथ क्षेत्र समृद्धशाली रहा होगा। कालांतर में वीरान जंगल और बिहड़ता के कारण यह क्षेत्र लुप्त प्राय हो गया था। जिसे कलेक्टर से राजनेता बने नीलकंठ टेकाम ने संवारने का काम किया।

कोंडागांव कलेक्टर बनने के बाद इस पुरातात्विक महत्व के प्राचीन नगरी का पता चला। उसके बाद उन्होंने अफसरों के साथ भोगापाल जाकर बिखरे पड़े मूर्ति और अवशेषों को संवारने का काम किया। 1 जून का दिन भोंगापाल के लिए ऐतिहासिक बन गया जब यहां 30 हजार से अधिक देश-प्रदेश और विदेश से भी मिश्रुक तथा बौद्ध समाज के लोग पहुंचे। पूरे इलाके में यही लोग नजर आ रहे थे। महासमुंद जिले का सिरपुर प्रदेश का पहला बौद्ध स्थल है, जहां समृद्ध पुरातात्विक अवशेष हैं। विधायक की पहल पर भोंगापाल को राज्य का दूसरा बौद्ध स्थल बनाने की पहल शुरू हुई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने यहां पहुंचकर बौद्ध शांति पार्क की सौगात दी। एक जगह पर बुद्ध और शिव की मूर्ति को देख दोनों अचंभित रह गए। उन्होंने कहा कि दो संस्कृति का एक साथ एक जगह होना और लगभग दो हजार साल पहले यह स्थल किस तरह समृद्ध रहा होगा, इसे कल्पना कर समझा जा सकता है कि यहां का जीवन और सद्भाव कितना विकसित रहा होगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि चीन का व्हेनसांग ने सिरपुर के बारे में लिखा है। संभवतः भोगापाल भी वे आए होंगे और कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी खोज होने पर मिल सकेगी।

सम्राट अशोक के आने के प्रमाण मौजूद
विधायक टेकाम ने कहा कि दो हजार साल पहले जब कलिंगा जीतने के बाद सम्राट अशोक लौट रहे थे तो भोंगापाल में उनके रुकने के प्रमाण मौजूद हैं। बुद्ध की प्रतिमा और अन्य अवशेष देखकर लगता है कि भोंगापाल समृद्धशाली रहा होगा। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री की पहल से पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से सिरपुर की तरह यहां भी देश-दुनिया के लोग आएंगे और मेडिटेशन, आध्यात्मिक तथा योगा का यह प्रमुख केंद्र बन जाएगा। आने वाले समय में सम्राट अशोक तथा गौतम बुद्ध के समय के अन्य जानकारियां भी पुरातत्व विशेषज्ञों के खोज से सामने आएंगे।

जापान से आए नागार्जुन सुरई ससई
सैकड़ों भिक्षुओं के बीच एक 90 साल का तंदरुस्त मिक्षुक नागार्जुन सुरई ससई भी नजर आए, जिसे मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष अपने साथ सम्मान देते हुए साथ लेकर चल रहे थे। नागपुर से लंबे सफर कर वे पहुंचे थे। बताया गया कि वियतनाम का भी एक भिक्षुक यहां पहुंचा है। इसके अलावा बौधगया से 40 मिक्षुओं का एक दल प्राचीन नगरी को देखने और समझने आया हुआ है।

समृद्ध राज्य को नक्सलियों ने किया तहस-नहस
केशकाल विधायक ने कहा कि दिन दहाड़े यहां नक्सली मौजूद रहते थे, जिन्होंने भय और आतंक के बल पर इस समृद्ध क्षेत्र को वीरान और रक्त रंजित बना दिया। यही कारण है कि पुरातात्विक महत्व का राज्य आज भी अबुझ बना हुआ है। मुख्यमंत्री के आने से पूर्व पूरे क्षेत्र में सुरक्षा जवान जंगल के कोने-कोने में फैले हुए थे। आईजी और एसपी समेत कई आलाधिकारी कमान संभाले हुए थे। वहीं कलेक्टर, कमिश्नर भी पूरी व्यवस्था को देख रहे थे। संयोजन अनिल खोब्रागड़े ने कहा कि 100 करोड़ का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री ने भी आज बौद्ध शांति पार्क का शुभारंभ कर 2 करोड़ की तात्कालिक सहायता की घोषणा की है। अब यह समृद्ध जगह दो हजार साल पहले की तरह संवर जाएगा।

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