रायपुर – निजी मेडिकल कॉलेज की एनआरआई कोटे को लेकर पिछली बार खूब विवाद हुआ। मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने उस वक्त प्रवेश ले चुके छात्रों को राहत देते हुए कहा था कि सरकार अगले वर्ष के लिए नियम बना सकती है। अब नीट का रिजल्ट आने को है और अब तक काउंसलिंग को लेकर नए नियम नहीं बने हैं।
संशोधन का प्रस्ताव अभी भी अफसरों के टेबल पर अंतिम निर्णय के लिए अटका हुआ है। इस बीच हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। प्रदेश में पांच निजी मेडिकल कालेज है जहां अप्रवासी भारतीय कोटे की सौ से अधिक सीटें हैं। इनमें एडमिशन के लिए चाचा, ताऊ, मौसा, माना, नाना, दादा जैसे दूर के रिश्तेदारों के प्रमाणपत्र को मान्य किए जाने पर एतराज किया गया था। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने काउंसिलिंग के बीच में इस मामले की जांच शुरू की थी। जिस पर निजी कालेज प्रबंधन न्यायालय चले गए थे।
नियम बनता तो वास्तविक हकदार को मिलता लाभ
हाईकोर्ट ने उस दौरान काउंसिलिंग जारी रखने के साथ निर्देश दिया था कि नियम लागू करने नियम में संशोधन के साथ गजट नोटिफिकेशन कर ले। इसके बाद विभाग और शासन स्तर पर इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई गई उनके सुस्त रवैये की वजह से सालभर का वक्त बीतने को है। संभावना है कि एमबीबीएस के लिए नीट का परिणाम दूसरे पखवाड़े में आने की उम्मीद है। इसके बाद मेडिकल कालेजों में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शासन द्वारा एनआरआई कोटे में एडमिशन के लिए नियम तैयार कर लागू कर दिया जाता है तो इसका लाम इसके वास्तविक हकदार को मिल पाएगा अन्यथा इस बार भी करोड़ों रुपए खर्च कर विदेश में रहने वाले दूर के रिश्तेदारों के सर्टिफिकेट के दम पर अपात्र सीटे हथिया लेंगे।