महासमुंद सीईओ जिपं पर दागी सचिवो को संरक्षण देने का आरोप, कलेक्टर को मिला जांच का आदेश।

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ग्राम पंचायत जगत में सरकारी रिकार्ड अभिलेख कर दिये गायब, प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज नही।

जिला पंचायत महासमुन्द में पंचायती राज अधिनियम नही बल्कि ‘आलोक का अधिनियम‘ चल रहा है। गजब का खेल है। शिकायत की जांच प्रतिवेदन में 18 नवम्बर को बिल बाउचर व रोकड बही सहित पंचायत के सरकारी अभिलेख गायब होने की पुष्टि होने के बाबजूद सीईओ जिपं सच्चिदानंद आलोक ने दोषी पंचायत सचिवो के उपर कानूनी कार्रवाई नही किया। बल्कि सीईओ जपं बसना को एसडीएम बसना माध्यम से धारा 92 के तहत वसूली करवाने हेतु आदेश कर दिया। जिस कारण इसकी लिखित शिकायत 22 फरवरी को निहारिका बारीक आइएएस प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को की गई है। शासन स्तर से 11 मार्च को अपर विकास आयुक्त कार्यालय को पत्र भेजा गया है। जिसके परिपेक्ष्य में कलेक्टर महासमुन्द को जांच हेतु आदेश 02 अप्रैल को की गई है।

मालूम हो कि ग्राम पंचायत जगत जपं बसना में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) योजना के अन्तर्गत जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। कई घरो में शौचालय नही बने, लेकिन कागजी खानापूर्ति हो गई है। तात्कालीन सरंपच सुलोचना राजहंस के पति शोभाराम राजहंस को भी नियम विपरीत शौचालय प्रोत्साहन राशि मिला है। जबकि श्रीराजहंस शासकीय शिक्षक थे। ऐसे ही तात्कालीन जनपद सदस्य देवकुमारी के पति फूलचंद पटेल को भी शौचालय प्रोत्साहन राशि दी गई है। जबकि नियमानुसार प्रत्येक जनप्रतिनिधि के घर में जलवाहित शौचालय होना अनिवार्य है।

आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने बताया कि इस ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना में शासन से प्राप्त राशि को खर्च किये गये बिल बाउचर व संदाय प्रमाणक उपलब्ध नही है। केशबुक पंजी भी नही है। आशंका है कि नष्ट कर दिये है। जांच में तात्कालीन पंचायत सचिव हेतराम पटेल, निमंकर पटेल, लखपति साहू व लक्ष्मीनारायण दास के दिये बयान से इसकी पुष्टि हो गई है। शासकीय राशि में बंदरबाट व भ्रष्टाचार हुआ है। सूत्रो के अनुसार शिकायत होने पर सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने जांच के दौरान ही सरपंच पति को 06 वर्ष पूर्व दिये गये प्रोत्साहन राशि को जपं बसना में जमा करवाया है। अलबत्ता प्रकरण में लीपापोती की गई है।

बताना जरूरी है कि जिस सरकारी कार्यालय में रिकार्ड व दस्तावेज गायब होता है। उसके जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियो के उपर पुलिस थाना में प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज किये जाने हेतु माननीय दिल्ली हाईकोर्ट व मुबंई हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है। लेकिन इस मामले में सीईओ जिपं एस. आलोक ने एफआइआर नही कराया है। बल्कि दोषी पंचायत सचिवो को संरक्षण दिया है। अभी तक इसमें संलिप्त सचिवो को निलंबित नही किया है। इसकी शिकायत निहारिका बारीक आइएएस को की गई है। विदित हो कि जिला पंचायत महासमुन्द से संबंधित कई प्रकरण में जांच कलेक्टर महासमुन्द के पास लंबित है।

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