छत्तीसगढ़ के थानों की लिखापढ़ी से अब फारसी, उर्दू और अन्य भाषा के कठिन शब्दों की जगह हिंदी के सरल शब्दों का उपयोग होगा। पुलिस डिक्शनरी जो शब्द हटाए जाएंगे उनमें खयानत, मौका मुरत्तब सहित 220 शब्द शामिल हैं। इनका हिंदी रुपांतरण होगा। पुलिस मुख्यालय ने इस बदलाव के लिए सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है।
दरअसल, पुलिस विभाग में अपडेशन चल रहा है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी सहित अन्य कठिन शब्द आज भी चलन में हैं। ये शब्द बोलचाल की भाषा में उपयोग नहीं होते हैं, इस कारण कई बार लोग इन्हें समझ भी नहीं पाते। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि ऐसे 220 शब्दों से पुलिस विभाग परेशान है।
इनका अभी तक हिंदी रुपांतरण नहीं हुआ है। फौती, इस्तगासा, अर्दली, इमदाद, तहकीकात, दफा, इत्तला करना, कलम बंद करना, खाना खुराक, हब्श ख्वाहिश सहित उर्दू, फारसी के कई शब्दों का इस्तेमाल पुलिस की लिखा पढ़ी में हो रहा है।
पुलिस अब किसी को पकड़ेगी तो गिरफ्तारी नहीं बताएगी, कहेगी हिरासत या अभिरक्षा में लिया गया है। नकबजनी के बदले पुलिस रिकॉर्ड में गृहभेदन या सेंधमारी लिखा जाएगा।
नकबजनी के बदले अब सेंधमारी लिखेगी पुलिस
यह भाषा ब्रिटिश काल से 75 सालों में भी पुलिस मैन्युअल अभी भी चल रही है। क्राइम इन्वेस्टिगेशन के तरीके बदले पर ये शब्द चलन में, जिन्हें लोग समझ नहीं पाते। पहले बोलचाल में इनका इस्तेमाल नहीं था फिर याद होते चले गए।
इनका हिंदी रूपांतरण जरूरी है, ताकि मातृभाषा का उपयोग हो सके। कम पढ़े लिखे लोगों को इससे फायदा मिलेगा। -आरके श्रीवास्तव, रिटायर्ड एएसपी