रायपुर। प्रदेश में मानसून के सक्रिय होने और दो-तीन बारिश होने के बाद किसानों ने बुआई की तैयारी शुरू कर दी है। किसानों ने बुआई के बाद धान में खाद डालने के लिए सोसायटियों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन सोसायटियो में पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रही है। जिस खाद की डिमांड ज्यादा है, वही खाद ही नहीं मिल रही है। किसान डीएपी की मांग कर रहे हैं, लेकिन एनपीके खाद थमाई जा रही है।
कई सोसायटियों में एनपीके यानी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम खाद भी नहीं है। सोसायटियों के अधिकारी डीएपी की कमी को स्वीकार रहे हैं। वहीं डायमोनियम फॉस्फेट खाद की जगह पर एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम) खाद देने की बात भी कह रहे हैं। सरकारी समितियों में एनपीके खाद भी उपलब्ध नहीं है। इस तरह की शिकायतें महासमुंद, बालोद, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा सहित अन्य जिलों से आई हैं।
5.52 लाख टन खाद का भंडारण
अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक केएन काण्डे ने बताया कि राज्य की सहकारी समितियों में अब तक 5.52 लाख टन खाद का मंडारण किया जा चुका है, जिसमें से 2.55 लाख टन खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। वर्तमान में समितियों में 2.18 लाख टन खाद उपलब्ध है, जिसमें प्रमुख रूप से 92120 टन यूरिया, 47451 टब सुपर फास्फेट, 19885 टन डीएपी, 32643 टन एनपीके और 5855 टन पोटाश शामिल है। एनपीके, सुपर फास्फेट और यूरिया खाद को डीएपी के विकल्प के रूप में उपलब्ध कराया है।
100 टन खाद रखें रिजर्व स्टॉक
सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने विपणन संघ के सभी प्रदाय केंद्रों में कम से कम 100 टन यूरिया, एनपीके, सुपरफास्फेट एवं 50 टन पोटाश का न्यूनतम स्टॉक जून जुलाई तक बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं किसानों को परेशानी न हो, इसके लिए मंडारण और वितरण की प्रतिदिन समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं।
खाद नहीं मिलने से किसान हो रहे परेशान
समितियों में एनपीके खाद भी उपलब्ध नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का मानना है कि खेतों में डीएपी खाद की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। खाद नहीं मिली तो बहुत नुकसान हो जाएगा। वहीं अब समितियों में डीएपी व एनपीके दोनों ही खाद उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में अगर बाजार से एनपीके लेते हैं तो सरकारी रेट से 400-500 रुपए महंगी मिलेगी।