जल जीवन की टूट रही धार: केंद्र से फंड नहीं मिला 6500 करोड़ अटके, ठेकेदारों को पेमेंट के लाले

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले ही भ्रष्टाचार के मामलों में उलझे जल जीवन मिशन की धार अब और टूटती नजर आ रही है। वजह ये है कि इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार का करीब साढ़े 13 हजार करोड़ का भुगतान लंबित है। यही कारण है कि मिशन का काम करने वाले ठेकेदारों को पेमेंट के लाले पड़ गए हैं। इसके साथ ही मिशन का कामकाज प्रभावित हुआ है। इस बीच केंद्र सरकार ने मिशन की अवधि 2028 तक बढ़ा दी है, यानी घर-घर पानी के नल पहुंचने की उम्मीद अभी हरी है, पर बिना फंड यह कैसे होगा, यह चिंतन का विषय है।

राज्य में जल जीवन मिशन की शुरुआत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी, लेकिन इस योजना के प्रारंभ के साथ ही भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की बातें सामने आईं थीं। यह गड़बड़ी उसी समय से सामने आई थी जब निर्माण के लिए ठेके की निविदा जारी हुई थी। पहली ही कोशिश में यह गड़बड़ी होने के बाद तत्कालीन सरकार ने सभी टेंडरों को निरस्त कर दिया था। फिर नए सिरे टेंडर किए गए। इस मामले को लेकर पिछली सरकार की किरकिरी भी हुई थी।

अब तक हुआ है आधा ही काम
सूत्रों के मुताबिक इस मिशन के अलग अलग हिस्सों के तहत करीब 80 प्रतिशत काम हो पाया है। इसमें पानी की टंकी, सोर्स बनाने से लेकर घर तक नल कनेक्शन देने का काम हुआहै, लेकिन कई स्तरों पर यह काम आधा अधूरा है। इस आधार पर कहा जा रहा है कि राज्य में कुल मिलाकर 50 से 60 प्रतिशत काम ही हुआ है। ठेकेदारों को पेमेंट के लालेइधर केंद्र से उसके हिस्से की राशि नहीं मिलने के कारण छत्तीसगढ़ में मिशन का काम करने वाले ठेकेदारों को महीनों से पेमेंट नहीं मिला है। इसकी वजह से विभिन्न स्तरों पर कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई जिलों में काम पूरी तरह बंद होने की सूचनाएं भी हैं।

पर उम्मीद अभी है कायम
जल जीवन मिशन शुरू करते समय यह लक्ष्य रखा गया था कि देश भर में सभी घरों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने का काम वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन देश के कई राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने में पिछड़ गए हैं। इसी बीच केंद्र सरकार ने फरवरी में बजट सत्र के दौरान घोषणा की थी कि अब मिशन का संचालन वर्ष 2028 तक होगा। लिहाजा इस आधार पर उम्मीद बाकी है कि मिशन का काम पूरा होगा। भले ही केंद्र से राशि आने में देरी हुई है, लेकिन देर सबेर राशि आ जाने से जल जीवन मिशन की राज्य में टूट रही धार को नया जीवन मिलेगा और लोगों को सरकार उनके घरों तक पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा करेगी।

केंद्र से नहीं मिले साढ़े 6 हजार करोड़
पीएचई के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्य को इस योजना के लिए कुल 36 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इस योजना में केंद्र और राज्य को 50-50 प्रतिशत अंशदान देने की व्यवस्था है। मिशन के लिए अब तक 13 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। इतनी ही राशि बकाया है। इसमें से आधी राशि यानी करीब साढ़े 6 हजार करोड़ केंद्र और उतनी ही राशि राज्य को अंशदान के रूप में देनी थी। लेकिन केंद्र ने अपने हिस्से की राशि साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए अब तक अदा नहीं किए हैं।

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