राजनीतिक रसूख के दम पर ठगी के आरोप में, पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी बिलासपुर निवासी केके श्रीवास्तव को ईओडब्ल्यू की टीम ने भोपाल के एमरॉल्ड होटल से गिरफ्तार किया है। आरोपी को ईओडब्ल्यू की टीम रविवार देर रात या दूसरे दिन रायपुर लेकर पहुंचेगी। श्रीवास्तव पर आरोप हैं कि उसने दिल्ली की कंपनी रावत एसोसिएट्स के मालिक अर्जुन रावत को स्मार्ट सिटी का काम दिलाने का झांसा देकर 15 करोड़ रुपए की ठगी की थी। पैसे वापस मांगने पर धमकाने के आरोप हैं। श्रीवास्तव के खिलाफ तेलीबांधा थाने में अपराध दर्ज है।
घटना में आरोपी बनाए गए केके का बेटा कंचन फरार बताया जा रहा है। रावत एसोसिएट्स के संचालक ने केके श्रीवास्तव के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया था कि केके ने उसे रायपुर में स्मार्ट सिटी का पांच सौ करोड़ रुपए का काम दिलाने की बात कहकर एक बड़े नेता से मुलाकात कराई थी। काम दिलाने के एवज में संबंधितों को देने के लिए 15 करोड़ रुपए लिए थे। काम नहीं होने पर रावत एसोसिएट्स के मालिक ने अपने पैसे वापस मांगे तो पहले वह रावत एसोसिएट्स के मालिक को पैसे वापस लौटाने टालमटोल करता रहा। बाद में चेक दिया, जो बाउंस हो गया। फिर पैसे वापस मांगने पर धमकाने लगा। इसके बाद रावत एसोसिएट्स के मालिक ने केके तथा उसके बेटे के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई।
ईओडब्लू और ईडी में मामला दर्ज तत्कालीन
एसएसपी ने केके को भगोड़ा घोषित करने के साथ मामले की जांच के लिए ईडी तथा ईओडब्ल्यू को पत्र लिखा था। ईडी ने 50 करोड़ रुपए की मनी लांड्रिंग करने के आरोप में केके के खिलाफ अपराध दर्ज किया है, जिसकी जांच जारी है। इस दौरान ईओडब्ल्यू को केके के भोपाल में छिपे होने की जानकारी मिली, तब टीम भेजकर ईओडब्ल्यू ने केके को गिरफ्तार किया।
तंत्र साधना के माध्यम से नेताओं से नजदीकी
केके श्रीवास्तव कारोबारी होने के अलावा तंत्र साधना के साथ धार्मिक अनुष्ठान भी करता था। अपनी तंत्र साधना, धार्मिक अनुष्ठान के चलते केके श्रीवास्तव का प्रदेश के कद्दावर नेताओं के साथ संपर्क बढ़ता गया और उसकी पहुंच तत्कालीन मुख्यमंत्री तक हो गई। इसी बात का फायदा उठाते हुए दिल्ली की कंपनी को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में काम दिलाने का झांसा देकर 15 करोड़ की ठगी की।
एफआईआर दर्ज होते ही फरार
केके तथा उसके बेटे के खिलाफ 10 माह पूर्व तेलीबांधा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। यह जानकारी मिलने के बाद बाप-बेटे दोनों फरार हो गए और अग्रिम जमानत के लिए जिला न्यायालय के बाद हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में जमानत आवेदन खारिज हो गया। पुलिस जांच में पता चला कि केके ने जिन खातों में रावत एसोसिएट्स के मालिक से पैसे ट्रांसफर कराए थे, वह जोमैटो, स्विगी में काम करने वाले लड़कों के नाम से ही ट्रांजैक्शन किए गए हैं। तत्कालीन एसएसपी संतोष सिंह ने केके श्रीवास्तव को भगोड़ा घोषित करते हुए उस पर इनाम भी घोषित किया था।