रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब केवल वही कर्मचारी संगठन अपनी गतिविधियां संचालित कर पाएंगे, जिनके पास कुल कर्मियों में से 20 प्रतिशत की सदस्यता होगी। राज्य में फिलहाल करीब 90 संगठन काम कर रहे हैं, लेकिन नया नियम लागू होने के बाद इनकी संख्या 5-7 से अधिक नहीं रह जाएगी । खास बात ये है कि छत्तीसगढ़ शासकीय सेवक (सेवा संघ) नियम जो अब से 58 साल पहले 1967 में बना था, उसे निरसित कर दिया गया है। राज्य के प्रमुख कर्मचारी संगठन छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संघ ने सरकार के इस कदम की सराहना की है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने कहा है कि, उनकी मांग पर संगठनों को उनके निर्धारित कार्यकाल के अनुसार मान्यता देने का निर्णय लिया गया है। फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के प्रति इस कर्मचारी हितैषी निर्णय के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया है। फेडरेशन के प्रदेश प्रवक्ता जीआर चंद्रा एवं चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि फेडरेशन विगत 6 वर्षों से पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा निर्धारित कार्यकाल के अनुसार कर्मचारी संगठनों को मान्यता देने की मांग कर रहा था। इस मुद्दे को लेकर फेडरेशन ने आंदोलन भी किया था।
ये है नया नियम
नए नियम में कहा गया है कि राज्य सरकार किसी संघ से केवल उस दशा में पत्र व्यवहार करेगी जब कि उसके समाधानप्रद रूप से साबित कर दिया जाए कि ऐसा संघ शासकीय सेवकों के उस प्रवर्ग या उन प्रवर्गों के, जिसका कि वह प्रतिनिधित्व करना चाहता है, कम से कम 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है। नियम के एक बिंदु में कहा गया है कि राज्य सरकार स्वयं का यह समाधान करने के प्रयोजन के लिए कोई संघ नियम 3 यानी (20 प्रतिशत प्रतिनिधित्व) की पूर्ति करता है या नहीं, संघो से ऐसा अभिलेख जैसा कि वह उचित समझे मांग सकेगा तथा उसकी परीक्षा कर सकेगी। संघ के प्रतिनिधित्व की प्रस्थिति के संबंध में राज्य सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा। इन दोनों नियमों की पूर्ति करने पर शासकीय सेवक संघ को तीन वर्ष या अथवा संघ के वर्तमान कालावधि जो भी पहले हो तक के लिए शासन से पत्राचार की अस्थायी मान्यता प्रदान की जाएगी।
अब लगेगी बेजा संगठनों पर लगाम
राज्य के कर्मचारी संगठनों के नेताओं की मानें तो प्रदेश में इस समय कम से कम 90 कर्मचारी संगठन काम कर रहे हैं। इनमें से कई दर्जन के पास 20 प्रतिशत की सदस्यता नहीं है। इन संगठनों ने प्रदेश के सभी जिलों में पदाधिकारी बना रखे हैं। ये लोग अपने हिसाब से नेतागीरी करते हैं, लेकिन नया नियम लागू होने के बाद इस प्रकार के संगठनों को मान्यता नहीं मिल सकेगी, न ही वे सरकार से पत्राचार कर सकेंगे। न इन संगठनों के पत्रों को सरकार तवज्जो देगी। छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। इससे उन संगठनों पर लगाम लगेगी जो संगठन बनाकर कर्मचारी एकता को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। शासन ने फेडरेशन के अनुरोध पर संघों को कार्यकाल के अनुसार मान्यता देने का आदेश जारी किया।