बालोद में शराब दुकान कर्मियों से ‘नौकरी बचाने’ के नाम पर वसूली! BJP नेता ने फील्ड ऑफिसर पर लगाया गंभीर आरोप

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बालोद, छत्तीसगढ़ — जिले में संचालित शराब दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों से एक-एक लाख रुपये की जबरन वसूली का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि निजी कैप्शन कंपनी के फील्ड ऑफिसर भूपेन्द्र देशमुख इन कर्मचारियों से प्रतिमाह पैसे की डिमांड करते हैं और विरोध करने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।

इस गंभीर मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी हितेश कुमार ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और बालोद कलेक्टर को पत्र लिखकर तत्काल जांच व सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि यह पूरा मामला राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।


क्या है आरोप?

गुरुर और दल्लीराजहरा की शराब दुकानों में कार्यरत दो सेल्समैन हरीश कुमार साहू और रोहित सिन्हा ने लिखित शिकायत में बताया है कि फील्ड ऑफिसर देशमुख ने नौकरी बचाने के लिए उनसे एक-एक लाख रुपये की मांग की है। हरीश साहू के अनुसार, वे पहले ही देशमुख को 5,000 और फिर 10,000 रुपये दे चुके हैं।

आरोप है कि भूपेन्द्र देशमुख द्वारा नियमित तौर पर कर्मचारियों से हर महीने पैसे लिए जाते हैं। यदि किसी कर्मचारी की ड्रेस पूरी नहीं हो या आईकार्ड नहीं लगाया हो, या दुकान में उपस्थित न हो, तो 5,000 से 10,000 रुपये तक की मांग की जाती है। यदि कोई कर्मचारी शिकायत करता है या बात बाहर निकलती है, तो उसे नौकरी से हटाने की धमकी दी जाती है।


कर्मचारियों की पीड़ा

पीड़ित कर्मचारियों का कहना है कि वे सिर्फ अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए काम कर रहे हैं। परिवार पालने की मजबूरी में उन्हें इस तरह के शोषण को सहना पड़ता है। नौकरी जाने का डर इतना बड़ा है कि वे मजबूरी में चुपचाप पैसा देने को मजबूर हैं।


भाजपा नेता ने उठाई आवाज

हितेश कुमार का कहना है कि फील्ड ऑफिसर देशमुख की ऐसी हरकतों से भाजपा सरकार की छवि पर गलत असर पड़ रहा है। यह पूरा मामला न केवल भ्रष्टाचार का उदाहरण है, बल्कि गरीब कर्मचारियों के मानसिक और आर्थिक शोषण का गंभीर मुद्दा भी है। उन्होंने मांग की है कि आरोपी फील्ड ऑफिसर पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और सभी प्रभावित कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।


समाप्ति में

यह मामला केवल वसूली या भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि कर्मचारियों की गरिमा और उनके जीविका के अधिकार का भी है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लें और ऐसे तत्वों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कदम उठाएं।

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