छत्तीसगढ़ के शाला सिर्रीखुर्द के बच्चों ने भाषा संगम गतिविधि के माध्यम से हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र के बच्चों से बहु भाषा सीखने के उद्देश्य से गूगल मीट के माध्यम से संवाद किया। जिसमें बच्चों ने एक दूसरे का अभिवादन करना खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, सांस्कृतिक शिक्षण के संबंध में चर्चा की।
बहुभाषी शिक्षक एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है, जिसमें छात्रों को एक से अधिक भाषाओं में शिक्षा दी जाती है। इस प्रणाली में छात्रों को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अन्य भाषाओं में भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। बहुभाषी शिक्षण से बच्चों में भाषाई कौशल सांस्कृतिक समझ बौद्धिक विकास होता है। क्योंकि, उन्हें विभिन्न भाषाओं में सोचने और समझने का अवसर मिलता है।
बच्चों ने अपनी मातृभाषा में एक- दूसरे से किया संवाद
प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द के शिक्षक खोमन सिन्हा ने बताया कि, इसी क्रम में हम चारों राज्यों के छात्र-छात्राओं ने आपस में संवाद किया। जिसमें हमारे प्राथमिक शाला सिर्रीखुर्द के बच्चों ने अभिवादन में राम राम जी, मोर नाव सूर्यकांत हे, मेहा बने बने हों, हमर स्कूल 16 जून से शुरू होय हे, छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया। हरियाणा से राम राम जी, मेरा नाम अरनव सिंह सै, मैं तो ठीक- ठाक सूं, म्हारा नया सत्र एक अप्रैल ते हो ज्या सै, म्हारा हरियाणा सुथरा हरियाणा। महाराष्ट्र से नमस्कार, माझे नाव शंकर आहे, मी छान आहे, आपली शाला कधीपासून सुरु झाली आहे, माझी शाला 15 जुन पासून सूरु झाली आहे, जय महाराष्ट्र। राजस्थान से म्हारा नाम किशनदान है,मै ठीक हुं, म्हारो नयो सत्र एक जुलाई सु शुरू हुई, जय जय राजस्थान।
इन शिक्षकों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
बहुभाषी संवाद में छत्तीसगढ़ से शिक्षक खोमन सिन्हा, जगन्नाथ ध्रुव, महाराष्ट्र से शंकर लुकुले, हरियाणा से सीआर काजला, राजस्थान से किशनcदान का विशेष योगदान रहा।