फर्जीवाड़ा: 10 सालों में 300 से अधिक लोगों ने बनाया फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र

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बिलासपुर। प्रदेश में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई की तैयारी है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की सतत मांग और प्रयासों के बाद राज्य शासन ने बड़ा कदम उठाया है। आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में विभिन्न विभागों के प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि वे फर्जी दिव्यांगता के आरोपों से घिरे कर्मचारियों की जानकारी समयसीमा में प्रस्तुत करें और उन्हें राज्य मेडिकल बोर्ड के समक्ष जांच के लिए भेजें।

फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी करने वालों पर शिकंजा कसते हुए आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण अब राज्य मेडिकल बोर्ड से होगा। इससे कई लोगों की नौकरी जाने की बात भी कही जा रही है। दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चन्द्राकर ने बताया कि वर्तमान में पीएससी से सलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार, 3 लेखा अधिकारी, 3 पशु चिकित्सक, 2 सहकारिता निरीक्षक सहित 21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

जारी आदेश के मुताबिक राज्य शासन ने 2 जुलाई 2025 को पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता कार्यालय के बोर्ड रूम में राज्य मेडिकल बोर्ड की विशेष बैठक बुलाई है। जिन पर फर्जी दिव्यांग होने की आशंका और शिकायतों के आधार पर भौतिक जांच की जाएगी, जिनमें दिव्यांग प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता को लेकर शंका व्यक्त की गई है। ज्ञात हो कि जिन कर्मचारियों पर जांच होनी है, वे शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, सामान्य प्रशासन, कृषि, विधि, पशुधन, जल संसाधन, आर्थिक एवं सांख्यिकी जैसे विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि सभी संबंधित अधिकारी अपने विभाग के इन कर्मचारियों को निर्धारित तिथि व समय पर अनिवार्य रूप से उपस्थित कराएं। साथ ही जांच से पूर्व सभी को अपने चिकित्सीय दस्तावेज संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सकों से प्रमाणित कराकर उपलब्ध कराने होंगे।

याचिका के अनुपालन में कार्रवाई
विकलांग सघ के मुताबिक यह कार्रवाई हाईकोर्ट बिलासपुर में लंबित याचिका WP(S) No. 3472/2023 (संजय कुमार मरकाम बनाम राज्य शासन) के आदेश के अनुपालन में की जा रही है। इससे न केवल फर्जी प्रमाणपत्र रखने वालों पर कार्रवाई होगी, बल्कि वास्तविक दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी। यह कदम राज्य शासन की ओर से पारदर्शिता और न्यायसंगत नियुक्तियों की दिशा में एक मजबूत पहल के रूप में देखा जा रहा है।

147 लोगों ने श्रवण बाधित सर्टिफिकेट बनवा लिया
ज्ञात हो कि मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 6 से 7 गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 10 सालों में 300 से अधिक लोग बहरे हो गए हैं। इनमें से 147 लोग श्रवण बाधित कान के दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के बाद सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। हालांकि इसमें अधिकांश के फर्जी होने के आरोप भी लग रहे हैं। यही नहीं इन गांवों में पता नहीं ऐसी कौन सी महामारी है कि मां-बाप और बच्चों के साथ विवाह के बाद दूसरे गांव या जिलों से बहू बनकर आने वाली महिलाएं भी श्रवण बाधित हो जाती हैं। खास बात यह भी है कि इनमें से अधिकतर का सरनेम राजपूत, राठौर और सिंह है। इसकी चर्चा पूरे प्रदेश में है लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ रहे हैं।

अधिकांश चयनित राठौर सिंह और राजपूत सरनेम के
2016 और 2018 में हुई भर्ती की सूची का अवलोकन करने पर एक बात जो देखने में आ रही है कि अधिकांश चयनित उम्मीदवार राजपूत, सिंह और राठौर सरनेम के हैं। यह सभी बिलासपुर, मुंगेली और जांजगीर-चांपा जिले के निवासी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाण पत्र भी लोरमी और जांजगीर-चांपा जिले से बनाए गए है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के मुताबिक अधिकांश प्रमाण पत्रों में बिलासपुर और मुंगेली में पदस्थ दो डाक्टरों के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं। इनमें से एक डाक्टर बिलासपुर में स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ हैं। संघ ने सभी विकलांग प्रमाण पत्रों की राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने की मांग की है।

इन गावों में अधिक फर्जी प्रमाण पत्र
लोरमी ब्लाक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलार, विचारपुर, बोड़तरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर सवाल उठ रहे हैं। बात सामने आई है कि अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं। ध्यान रहे राज्य शासन की ओर से दिव्यांगों की विशेष भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सबसे पहले ग्रामीण कृष विस्तार अधिकारी पद के लिए भर्ती हुई। इसमें 50 ऐसे लोगों की नियुक्ति हुई है जिन्होंने श्रवण बाधित होने का फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया है। इसी तरह तीन कृषि शिक्षक के पद पद काम कर रहे हैं।

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