सौर ऊर्जा से जगमगाया बस्तर का धुड़मारास गांव, बना विश्वस्तरीय ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन

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रायपुर/बस्तर,

छत्तीसगढ़ का बस्तर अब न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक धरोहर और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए पहचाना जाता है, बल्कि सतत और पर्यावरणीय विकास की दिशा में एक वैश्विक उदाहरण भी बन चुका है। बस्तर जिले का धुड़मारास गांव, जो कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है, अब संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा चयनित दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में शामिल किया गया है।

इस उपलब्धि के पीछे है मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदर्शी सोच और राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता। धुड़मारास आज न केवल अपनी प्राकृतिक संपदा और पारंपरिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह गांव सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर और आधुनिक सुविधाओं से युक्त बन गया है।


सौर ऊर्जा से स्वावलंबन की ओर

राज्य शासन के निर्देश पर छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (CREDA) द्वारा गांव में विभिन्न सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया है:

  • 3 नग सोलर ड्यूल पंप की स्थापना कर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता

  • 2 नग सोलर हाईमास्ट संयंत्र से रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था

  • गांव की गलियों में सौर स्ट्रीट लाइटें

  • प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में सोलर ऊर्जा से विद्युत आपूर्ति

इन कार्यों की निरंतर निगरानी क्रेडा के अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सवन्नी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री राजेश राणा द्वारा की गई, जिससे कार्य गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध रूप से पूर्ण हो सके।


प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक पर्यटन का संगम

धुड़मारास गांव की खूबसूरती को और सजीव बनाते हैं:

  • कांगेर नदी की कलकल धारा

  • हरियाली से आच्छादित घाटियाँ और जैव विविधता

  • पारंपरिक बस्तरिया संस्कृति और लोककला

यह गांव अब इको-टूरिज्म के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य वन एवं पर्यटन विभाग की योजनाओं के अंतर्गत:

  • ट्रैकिंग ट्रेल, कैंपिंग साइट और होम-स्टे की सुविधा विकसित की जा रही है

  • स्थानीय शिल्पकारों को प्रोत्साहित कर हस्तशिल्प को बाज़ार से जोड़ा जा रहा है

  • सड़क और परिवहन सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है


सामाजिक सशक्तिकरण और रोजगार के अवसर

धुड़मारास में ईको-पर्यटन विकास समिति द्वारा:

  • कांगेर नदी में कयाकिंग और बांस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं

  • युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल रहा है

  • प्रतीक्षालय, शौचालय, साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं ग्रामीणों द्वारा संचालित की जा रही हैं

यह मॉडल अब बस्तर के अन्य गांवों जैसे नागलसर और नेतानार में भी दोहराया जा रहा है।


राष्ट्रीय मान्यता और पुरस्कार

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा धुड़मारास और चित्रकोट गांव को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों के रूप में सम्मानित किया गया है। यह सम्मान केवल सौंदर्य या प्रसिद्धि के कारण नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी, सतत संसाधन प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।


एक प्रेरणा, एक दिशा

धुड़मारास की सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि शासन की योजनाओं में जनसहभागिता, स्थानीय नेतृत्व और सतत सोच को जोड़ा जाए, तो ग्रामीण भारत भी विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बना सकता है। यह गांव अब न सिर्फ बस्तर, बल्कि पूरा भारत के लिए ईको-पर्यटन और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण बन चुका है।

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