रायपुर – आयुष विवि ने बीएससी नर्सिंग का परीक्षा शुल्क दोगुना कर दिया है। इस संदर्भ में छात्रों को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। विद्यार्थियों ने जब सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए आवेदन भरा, तब उन्हें पता चला की इस बार उन्हें एग्जाम फीस दोगुनी देनी होगी। पिछले शैक्षणिक सत्र तक बीएससी नर्सिंग के लिए 1500 रुपए परीक्षा फीस देनी होती थी, लेकिन इस बार छात्रों को 3 हजार रूपए देने पड़ रहे हैं। बीएससी नर्सिंग के सभी सेमेस्टर में बढ़ी हुई परीक्षा फीस लागू की गई है।
सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए विवि द्वारा सामान्य फीस के साथ 1 से 7 जुलाई तक आवेदन मांगे गए थे। इसके बाद परीक्षा फीस के 10 प्रतिशत हिस्से को विलंब शुल्क के रूप में मान्य करते हुए 10 जुलाई तक फॉर्म भरने की छूट छात्रों को प्रदान की गई। महाविद्यालयों को 14 जुलाई तक छात्रों के आवेदन विवि को प्रेषित करने होंगे। नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले अधिकतर विद्यार्थी आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। इन स्थितियों में उनके लिए बढ़ी हुई फीस आर्थिक बोझ साबित हो रही है।
ऑनलाइन ही होगी पूरी व्यवस्था
फीस के अतिरिक्त एक अन्य दिक्कत छात्रों के समक्ष वन वे विंडो पैनल सिस्टम को विश्वविद्यालय द्वारा बंद कर दिए जाने के कारण उत्पन्न हो गई है। माइग्रेशन, अंकसूची, पुनर्गणना-पुनर्मूल्यांकन सहित सभी तरह की समस्याओं के लिए विवि द्वारा एक सिंगल विंडो सिस्टम संचालित था। इसके माध्यम से विद्यार्थी किसी भी तरह की समस्या दर्ज करा सकते थे। विश्वविद्यालय द्वारा उक्त व्यवस्था को ऑनलाइन किए जाने की तैयारी है, ताकि प्रत्येक तरह की शिकायत छात्र ऑनलाइन ही दर्ज कर सकें। विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन सिस्टम प्रारंभ किए बगैर ही सिंगल विंडो को बंद किए जाने के कारण यहां-वहां भटक रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, विद्यार्थियों की शिकायत के बाद अब विवि ऑनलाइन सुविधा प्रारंभ होने तक इसे पुनः प्रारंभ करने की तैयारी है।
इधर, छात्रों ने जताई नाराजगी
परीक्षा शुल्क को बिना पूर्व सूचना के एकमुश्त दोगुना किए जाने से छात्रों में आक्रोश है। कई छात्रसंगठनों ने इसे लेकर नाराजगी जताई है। छात्रों का कहना है कि यह नीति एवं नैतिकता दोनों के विरुद्ध है। इससे हम पर आर्थिक भार बढ़ा है और उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विवि प्रबंधन से फीस वृद्धि वापस लेने की मांग की है। एबीवीपी के महानगर मंत्री प्रथम राव फूटाने ने कहा, छात्रों के साथ आर्थिक और मानसिक अन्याय हो रहा है। इसके अलावा पुनर्मूल्यांकन-पुनर्गणना परिणामों में लगने वाले अधिक समय को लेकर भी छात्रों ने रोष जताया है। छात्रों का कहना है कि यदि किसी छात्र को पूरक की पात्रता मिलती है और वह पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करता है, तो उसका परिणाम इतना विलंब से आता है कि वह अगले सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म ही नहीं भर पाता है।