कैंटीन में मिलने वाला समोसा, जलेबी या वड़ा पाव भी अब सिगरेट जैसी स्वास्थ्य चेतावनी के साथ नजर आएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के AIIMS, IIT और अन्य केंद्रीय संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे कैंटीन और सार्वजनिक स्थानों पर तेल और शक्कर चेतावनी बोर्ड लगाएं।
मोदी सरकार की इस पहल का उद्देश्य भारत में तेजी से बढ़ते मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों को नियंत्रित करना है। शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने पिज्ज, बर्गर जैसे अन्य जंक फूड पर भी यह चेतावनी अंकित किए जाने की मांग की है।
क्या है चेतावनी बोर्ड योजना?
- भारत सरकार अब समोसा, जलेबी, गुलाब जामुन, लड्डू, पकौड़े और वड़ा पाव जैसे खाद्य पदार्थों को “हाई शुगर और हाई फैट फूड्स” की श्रेणी में रख रही है। चेतावनी बोर्ड पर स्पष्ट तौर पर लिखा जाएगा कि एक जलेबी में कितनी चीनी या एक वड़ा पाव में कितना ट्रांस फैट होता है।
- उदाहरण के तौर दुकानदार ने यदि 1 गुलाब जामुन में 5 चम्मच चीनी डाली है। यह जानकारी चेतावनी बोर्ड पर अंकित करनी होगी। यह भी बताना होगा कि 1 समोसा में औसत कितना तेल लगा है।
चेतावनी बोर्ड नियम से क्या फायदा?
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन से ग्रसित हो सकते हैं। इसका मुख्य कारण खराब खानपान और कम व्यायाम है। जंक फूड के अधिक सेवन से युवाओं में टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियां भी बढ़ रही हैं।
- कैंटीन में तेल और शक्कर चेतावनी बोर्ड लगाए जाने से छात्रों, स्टाफ और अन्य उपभोक्ताओं को पता चलेगा कि वे क्या खा रहे हैं और इसका उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है।
सिगरेट जैसी चेतावनी पर पैकेट पर नहीं
यह चेतावनी सिगरेट पैकेट पर दी जाने वाली चेतावनियों जैसी होगी, लेकिन यह पैकेजिंग पर नहीं बल्कि संस्थानों की दीवारों, कैंटीन काउंटर और सार्वजनिक स्थानों पर लगे पोस्टरों में प्रदर्शित की जाएगी।
कहां लागू होगा यह नियम?
स्वास्थ्य मंत्रालय के यह आदेश AIIMS, IITs और केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे सभी केंद्रीय संस्थानों में लागू होंगे। कैंटीन, अस्पतालों, कैफेटेरिया और कॉमन एरिया में ये चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे। AIIMS नागपुर में इस निर्देश को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।