Nimisha Priya Case: केरल के ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार की पहल से टली यमन में फांसी, जानिए कौन हैं ये 94 वर्षीय धर्मगुरु?

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मुख्य बिंदु (Highlights):

  • यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर फिलहाल रोक

  • ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार की अपील और मध्यस्थता से मिली राहत

  • यमन के इस्लामिक स्कॉलर शेख हबीब उमर बिन हाफिज के माध्यम से बातचीत का रास्ता खुला

  • अब ब्लड मनी (मुआवज़ा) को लेकर मृतक के परिजनों से बातचीत होगी

  • भारत सरकार की भी राजनयिक पहल रही सक्रिय


⚖️ कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है मामला?

नर्स निमिषा प्रिया, केरल की रहने वाली हैं और कुछ साल पहले रोज़गार के लिए यमन गई थीं। वहां एक यमनी नागरिक तलाल आबदो मेहदी की हत्या के आरोप में उन्हें दोषी ठहराया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। 16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी दी जानी थी।

लेकिन, ऐन वक्त पर केरल के वरिष्ठ इस्लामिक धर्मगुरु ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद मुसलियार के हस्तक्षेप से फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई। इससे परिवार और वकील को राहत की सांस मिली और अब उन्हें मृतक परिवार से ब्लड मनी को लेकर बातचीत का मौका मिला है।


अबूबकर मुसलियार: कौन हैं ये 94 वर्षीय धर्मगुरु?

  • नाम: शेख अबूबकर अहमद मुसलियार

  • उम्र: 94 वर्ष

  • जन्मस्थान: कोझीकोड, केरल

  • पद: ग्रैंड मुफ्ती (केरल), चेयरमैन – मरकज नॉलेज सिटी प्रोजेक्ट

  • पहचान: इस्लामिक विद्वान, सामाजिक चिंतक, खाड़ी देशों में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व

शेख अबूबकर मुसलियार दक्षिण भारत के सबसे सम्मानित इस्लामिक विद्वानों में गिने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में खाड़ी देशों और दक्षिण-पूर्व एशिया की कई यात्राएं की हैं, जिनके दौरान वे यमन, कतर, सऊदी अरब समेत कई देशों के इस्लामिक स्कॉलर्स से संपर्क में आए।


यमन में कैसे बनी मदद की स्थिति?

उनके पुराने मित्र शेख हबीब उमर बिन हाफिज, जो यमन के एक प्रभावशाली इस्लामिक स्कॉलर और शूरा काउंसिल के सदस्य हैं, उन्होंने अबूबकर मुसलियार की अपील पर यमनी प्रशासन से संपर्क किया।

अबूबकर मुसलियार ने इस्लामी कानून का हवाला देते हुए कहा –

“इस्लाम में यह स्पष्ट प्रावधान है कि हत्या जैसे मामलों में पीड़ित परिवार को दोषी को क्षमा करने का अधिकार होता है। मैं पीड़ित परिवार को नहीं जानता, लेकिन उनसे माफी की अपील करता हूँ।”

उन्होंने कहा कि इस्लाम में इंसानियत सर्वोपरि है और इस प्रकरण में नरमी और संवाद के लिए एक और मौका दिया जाना चाहिए।


️ धार्मिक और सामाजिक भूमिका

अबूबकर मुसलियार केवल एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से जागरूक व्यक्ति भी हैं। वे केरल की मरकज नॉलेज सिटी के चेयरमैन हैं — एक महत्वाकांक्षी शैक्षणिक और सांस्कृतिक परियोजना।

️ चर्चा में आए विवादित बयान:

  • CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा था कि—

    “महिलाओं को इस तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।”
    यह बयान मीडिया और सामाजिक मंचों पर व्यापक चर्चा का विषय बना था।


भारत सरकार की भूमिका

भारत सरकार की तरफ से भी साफ-सुथरी कूटनीतिक पहल की गई। विदेश मंत्रालय लगातार यमन के अधिकारियों और स्थानीय इस्लामिक समुदाय से संपर्क में रहा। ग्रैंड मुफ्ती की पहल से सरकार को भी संवेदनशील मध्यस्थता का रास्ता मिल गया, जिससे मृत्यु दंड को फिलहाल टालना संभव हो सका


आगे क्या होगा?

  • अब निमिषा प्रिया का परिवार और कानूनी टीम यमन में मृतक तलाल मेहदी के परिवार से ब्लड मनी को लेकर संवाद करेगी।

  • यदि पीड़ित परिवार मुआवज़ा स्वीकार करता है और माफ कर देता है, तो निमिषा को सजा से राहत मिल सकती है।

  • यह प्रक्रिया लंबी और संवेदनशील है, इसलिए फिलहाल सिर्फ समय की मोहलत मिली है।


निष्कर्ष:

94 वर्षीय अबूबकर मुसलियार ने धर्म के करुणा और संवाद वाले पक्ष को सामने रखकर एक भारतीय महिला की ज़िंदगी को नई उम्मीद दी है। इस मामले में धर्म, कानून और कूटनीति—तीनों ने मिलकर इंसानियत को बचाने का काम किया है

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