नई दिल्ली | जुलाई 2025
देश में तेजी से बढ़ते बचपन के मोटापे और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को देखते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक अहम कदम उठाया है। बोर्ड ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देशित किया है कि वे मोटापे के खतरे और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति बच्चों को जागरूक करें। इसके लिए चेतावनी बोर्ड (Oil Boards) लगाने और हेल्दी आदतों को बढ़ावा देने जैसे कई उपाय अनिवार्य किए गए हैं।
CBSE का उद्देश्य: बच्चों को ‘स्वस्थ भारत’ की ओर मोड़ना
CBSE की शैक्षणिक निदेशक डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है:
“बच्चों और वयस्कों दोनों में मोटापे की दर खतरनाक रूप से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि हम विद्यालय स्तर से ही जागरूकता और आदतों में सुधार की शुरुआत करें।”
मोटापा बन रहा भारत के लिए गंभीर खतरा
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NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, शहरी भारत में हर 5 में से 1 व्यक्ति मोटापे का शिकार है।
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The Lancet GBD 2021 की रिपोर्ट बताती है कि अगर यही रफ्तार रही, तो 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ वयस्क मोटे हो सकते हैं — जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या होगी।
CBSE द्वारा सुझाए गए मुख्य कदम
1. चेतावनी बोर्ड (Oil Boards) लगाना
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स्कूल के कैंटीन, लॉबी, सीढ़ियों और कॉमन एरिया में ऐसे बोर्ड या पोस्टर लगाएं, जो अस्वस्थ भोजन और निष्क्रिय जीवनशैली के खतरों को उजागर करें।
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डिजिटल स्क्रीन या स्टिकर के माध्यम से लगातार हेल्थ संदेशों का प्रसारण।
2. स्कूल स्टेशनरी में स्वास्थ्य संदेश
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स्कूल की ऑफिसियल चीज़ों जैसे नोटबुक, डायरी, रिपोर्ट कार्ड, नोटपैड और लेटरहेड पर मोटापा विरोधी और फिटनेस को बढ़ावा देने वाले स्लोगन अनिवार्य हों।
3. स्वस्थ आहार व फिटनेस को प्रोत्साहन
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स्कूल कैंटीन में केवल लो फैट, हाई फाइबर, शुगर-फ्री विकल्पों को बढ़ावा दें।
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कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, तली चीजें और जंक फूड को कैंटीन से हटाने की दिशा में कार्य करें।
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फिटनेस ब्रेक, सीढ़ियों के उपयोग को बढ़ावा, और पैदल चलने के रास्तों की सुविधा बढ़ाई जाए।
बच्चों की भागीदारी: सीखना भी, करना भी
CBSE ने कहा है कि इस मुहिम में छात्रों को भी सक्रिय भागीदार बनाना जरूरी है:
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बच्चे खुद हेल्थ पोस्टर, स्लोगन, और वीडियो कैंपेन बनाएं।
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इससे न केवल विषय में रुचि बढ़ेगी, बल्कि अनुभवात्मक सीखने (experiential learning) का मौका मिलेगा।
इसके लिए CBSE ने FSSAI की आधिकारिक वेबसाइट और YouTube चैनल पर उपलब्ध IEC सामग्री का उपयोग करने की सलाह दी है।
विशेष टिप्पणी: क्यों जरूरी है ये पहल?
बढ़ती प्रतिस्पर्धा, स्क्रीन टाइम और जंक फूड की उपलब्धता ने बच्चों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित किया है। स्कूल स्तर पर ऐसी पहल से बच्चों में अच्छी आदतें बचपन से ही विकसित की जा सकती हैं।