नजूल भूमि के भू भाटक के निर्धारण को लेकर राजनांदगांव शहर से राज्य सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। हालात यह है कि मुंगेली सहित पूरे प्रदेश के शहरों में जहां भू भाटक का निर्धारण चालू वर्ष से करते हुए राशि की वसूली आवेदन दिनांक से की जा रही है वहीं हाईप्रोफाईल राजनांदगांव शहर में भू भाटक का निर्धारण आज दिनांक से करते हुए वसूली पिछले 70 सत्तर साल से की जा रही है। जिसके चलते प्रदेश के अन्य शहरों के मुकाबले राजनांदगांव शहर वासियो को भू भाटक के रूप में कई गुना अधिक राशि देने मजबूर होना पड़ रहा है। खास बात यह है कि अधिकांश जमीनो की जो भू भाटक राशि निकल कर सामने आ रही है वह जमीन के बाजार भाव से काफी अधिक है। यहीं कारण है कि शहरवासियों में आक्रोश पनप रहा है।
राजनांदगांव शहर में नजूल भूखंडों के भू-भाटक निर्धारण की प्रक्रिया में चार साल पहले आए बदलाव के चलते अब प्रक्रिया पूरी तरह से अटक गई है। चार साल पहले इसके निर्धारण में प्रदेश शासन द्वारा अंदरखाने बड़ा बदलाव किया गया। जिसके बाद अब कई गुना भू-भाटक चुकाने के लिए शहरवासी मजबूर हो गए हैं। यही कारण है कि निर्धारण कराने के बाद भी शुल्क पटाने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। बड़ी बात यह है कि प्रदेशभर में यह नियम केवल राजनांदगांव शहर के लिए ही बनाया गया है। बाकी शहरों में पुराने नियमों के अनुसार ही भू-भाटक निर्धारण किया जा रहा है। हालांकि इस मामले में अब शासन से पत्राचार कर नियमों में बदलाव की मांग एक वर्ग द्वारा की जा रही है। मामले में शहरवासियों में आक्रोश की स्थिति है।
खरीदी-बिक्री अटकी
नियमों में बदलाव के बाद भू-भाटक निर्धारण की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप हो गई है। जिसके चलते शहर के बड़े हिस्से में जमीन की खरीदी बिक्री पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। बताया गया कि शहर के कई ऐसे भूखंड हैं। जिनकी बिक्री होनी है, लेकिन उन भूमि का भू-भाटक निर्धारित नहीं होने के चलते प्रक्रिया अटकी हुई है। इसके अलावा उक्त भूमि का कोई भी रिकॉर्ड सरकार के भुईयां एप में नहीं दिखा रहा है। ऐसे ही बैंक से लोन की प्रक्रिया भी इन भूखंड को लेकर नहीं हो पा रही है।
2015 में भी जारी किए निर्देश
इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 में भी एक आदेश एवं दिशा निर्देश जारी किया था। उस आदेश में कहा गया था कि शहर के नजूल भूमि धारकों द्वारा आवेदन करने पर भू-भाटक का निर्धारण चालू वर्ष से ही किया जाए। ज्ञात हो कि यह आदेश राजनांदगांव के साथ ही पूरे प्रदेश के लिए जारी हुआ था, लेकिन इसमें छह साल बाद 2021 में तत्कालीन प्रदेश की कांग्रेस सरकार के निर्देश पर अकेले राजनांदगांव शहर के लिए बदलाव कर दिया गया था। बदलाव के बाद यह तय किया गया कि नजूल भूमि धारकों द्वारा आवेदन करने के बाद उनकी भूमि के भू-भाटक का निर्धारण कब्जा दिनांक से किया जाए। इस नियम में बदलाव के बाद निर्धारण की राशि लाखों रुपए तक पहुंच गई है। यही कारण है कि कई लोगों ने भू-भाटक निर्धारण करा तो लिया, लेकिन अब तक राशि अदा नहीं की है।
मुंगेली, दुर्ग सहित प्रदेशभर में अलग नियम
बड़ी बात यह है की जहाँ राजनांदगांव शहर के लिए जारी आदेश पत्र क्रमांक 02 (क्रमांक/एफ-4-33/सात-1/2019/ 26.02.21) में नजूल भू खंडों का भू भाटक काबिज व्यक्ति के पक्ष में आज दिनांक से निर्धारित करते हुए कब्जा दिनांक से लेने कहा गया है। वहीं मुंगेली, दुर्ग सहित प्रदेश के अन्य शहरों में भू भाटक का निर्धारण चालू वर्ष से करते हुए आज दिनांक से लेने के निर्देश है। ऐसे में केवल राजनांदगांव शहर के लिए अलग नियम क्यों है इसको लेकर विरोध होने लगा है।
मालिक बने किराएदार
शहरवासियों को पहले से ही दो टैक्ट पटाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जमीन की रजिस्ट्री के बाद भी उन्हें नजूल में हर 30 साल में जमीन का पट्टा लेने के लिए भू भाटक की राशि अदा करनी पड़ रही है वहीं निगम प्रशासन के पास भी संपत्ति कर सहित अन्य टैक्स पटाना पड़ रहा है। हालात यह है कि पूरे शहर के लोगों के पास भले ही रजिस्ट्री है लेकिन उन्हें लीज के तहत किराएदार बनना पड़ रहा है।
विस अध्यक्ष ने लिखा सचिव को पत्र
इस मामले में राजनांदगांव शहर के कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं द्वारा विस अध्यक्ष डॉ रमन सिंह को पत्र सौंपा गया था। जिस पर आगे करवाई करते हुए विस अध्यक्ष ने राजस्व सचिव को अप्रैल महीने में पत्र लिखकर इसके समाधान के निर्देश दिए थे। हालांकि अब तक इस मामले में कोई पहल सरकार की तरफ से नहीं हो पाई है, जिसके चलते राजनांदगांव शहरवासियों को दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है।