भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हो गया है। PM मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मौजूदगी में गुरुवार को लंदन में एग्रीमेंट पर दस्तखत हुए। इसे लेकर दोनों देशों के बीच 3 साल से बातचीत चल रही थी।
समझौते के बाद नेताओं ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान पीएम मोदी ने समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए खुशी जताई। इस दौरान उन्होंने भारत- इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का भी जिक्र किया।
मोदी ने कहा कि यूके में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हमारे संबंधों में एक लिविंग ब्रिज का काम करते हैं। मोदी ने स्टार्मर को भारत आने का न्योता दिया।
ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन का यह सबसे बड़ा व्यापार
यूरोपियन यूनियन से अलग होने (ब्रेक्जिट) के बाद ब्रिटेन का यह सबसे बड़ा व्यापार समझौता है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच ट्रेड में 34 बिलियन डॉलर की वृद्धि होने का अनुमान है।
इससे पहले ब्रिटेन का सबसे बड़ा समझौता ऑस्ट्रेलिया का साथ हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों के बीच व्यापार में 3.1 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है। ब्रेक्जिट के ब्रिटेन ने अब तक 70 से ज्यादा देशों के साथ ट्रेड डील की है।
भारत के 99% निर्यात को टैरिफ में राहत मिलेगी
इस समझौते से भारत से ब्रिटेन को होने वाले 99% निर्यात पर टैरिफ यानी आयात शुल्क में राहत मिलेगी। इसका मतलब है कि भारत से जो सामान ब्रिटेन भेजा जाएगा, उस पर लगने वाला टैक्स या तो बहुत कम हो जाएगा या पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
वहीं, ब्रिटेन की कंपनियों के लिए भी यह समझौता फायदेमंद होगा। अब उन्हें भारत में व्हिस्की, कार और दूसरे उत्पाद बेचने में पहले से ज्यादा आसानी होगी।
भारत इन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को घटाकर 15% से 3% करेगा। समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है।
5 साल में व्यापार दोगुना करना मकसद
FTA का मतलब है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, जिसे हिंदी में ‘मुक्त व्यापार समझौता’ कहा जाता है। यह ऐसा समझौता होता है जो दो या अधिक देशों के बीच होता है, ताकि वे आपस में सामान और सेवाओं का व्यापार आसानी से कर सकें और उस पर कम टैक्स (ड्यूटी) लगाएं या बिल्कुल टैक्स न लगाएं।
इससे दोनों देशों की कंपनियों को फायदा होता है, क्योंकि उनका सामान सस्ता हो जाता है जिससे लोग ज्यादा खरीदारी करते हैं।
FTA को कैबिनेट से मंजूरी मिली
भारत और यूके के बीच हुए ट्रेड एग्रीमेंट को ब्रिटिश संसद से अप्रूवल मिलना बाकी है। इसमें 6 महीने से 1 साल तक का वक्त लग सकता है। इससे पहले 6 मई को दोनों देशों के बीच डील फाइनल हुई थी।
दोनों देशों के बीच एग्रीमेंट से ये सामान सस्ते हो सकते हैं-
- कारें: ब्रिटेन की लग्जरी कारें जैसे जगुआर लैंड रोवर अब कम दाम में मिल सकती है।
- स्कॉच व्हिस्की और वाइन: इंग्लैंड से आने वाली शराब और वाइन पर टैरिफ कम होगा, जिससे ये पहले से सस्ती मिलेंगी।
- फैशन और कपड़े: ब्रिटेन से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट्स और होमवेयर भी सस्ते हो सकते हैं।
- फर्नीचर और इलेक्ट्रिकल सामान: ब्रिटेन से आने वाला फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्ट्रियल मशीनरी अब कम कीमत पर मिल सकती है।
- ज्वेलरी और रत्न: भारत के रत्न और आभूषण ब्रिटेन में सस्ते बिकेंगे, जिससे ब्रिटेन में भारतीय कस्टमर्स के लिए प्रोडक्ट्स सस्ते हो सकते हैं
घरेलू शराब कंपनियों को कॉम्पिटिशन मिलेगा
इस समझौते के कारण यूके से आने वाली व्हिस्की भारत में कम कीमत पर उपलब्ध होगी, जो दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है। हालांकि इस डील के बाद उन घरेलू शराब कंपनियों को कॉम्पिटिशन मिलेगा, जो प्रीमियम अल्कोहल मार्केट में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के सीईओ मार्क केंट ने इस डील को ‘ट्रांसफॉर्मेशनल’ बताया और कहा, “यूके-भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट एक पीढ़ी में एक बार होने वाला सौदा है और दुनिया के सबसे बड़े व्हिस्की बाजार में स्कॉच व्हिस्की एक्सपोर्ट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।”
भारत को फ्री ट्रेड डील से क्या फायदा होगा?
इस डील से इंडियन एक्सपोर्ट को बूस्ट मिलेगा और जॉब भी क्रिएट होंगे। वित्त वर्ष 24 में 12.9 बिलियन डॉलर यानी 1.12 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट भारत ने यूके को किया था। इस डील से भारत को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। डेवलप्ड मार्केट तक पहुंच भी बढ़ेगी।
भारत और UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी, जो अब करीब 3.5 साल बाद पूरी हुई है। 24 फरवरी को कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और UK के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान किया था।
2014 से भारत ने मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया और EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के साथ 3 ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ इसी तरह के समझौतों पर एक्टिवली बातचीत कर रहा है।