माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला ने एक इंटरनल मेमो में कर्मचारियों की छंटनी को AI ट्रांसफॉर्मेशन के लिए जरूरी बताया। इस साल कंपनी करीब 15,000 कर्मचारियों को निकाल चुकी है। इनमें से 9 हजार कर्मचारियों की छंटनी बीते दिनों ही की गई है।
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कर्मचारियों की संख्या लगभग पहले जितनी ही बनी हुई है। यानी, कंपनी ने इन एम्प्लॉइज की जगह दूसरी भूमिकाओं के लोगों को रखा होगा। खासकर AI से जुड़े क्षेत्रों में ये भर्ती हो सकती है, जहां कंपनी ज्यादा फोकस कर रही है।
माइक्रोसॉफ्ट को इस बदलाव का फायदा भी मिला है। 9 जुलाई को उसका शेयर 500 डॉलर पर पहुंच गया था। माइक्रोसॉफ्ट में जून 2024 तक 228,000 लोग काम कर रहे थे। इस साल की छंटनी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने अभी तक कोई नया आंकड़ा नहीं दिया है।
अमेरिकियों को निकालकर विदेशियों को रखने का आरोप
सत्या नडेला का ये मेमो अमेरिका के उपराष्ट्रपति JD वेंस के उस बयान के बाद सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कंपनी ने 9,000 अमेरिकी कर्मचारियों को निकाला और फिर 6,000 से ज्यादा H-1B वीजा के लिए आवेदन किया। ये गणित समझ नहीं आता।
उन्होंने दावा किया कि टेक कंपनियां अमेरिका में प्रतिभा की कमी का बहाना बनाकर सस्ते विदेशी कर्मचारियों को भर्ती करती हैं। हम सबसे प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका में स्वागत करना चाहते हैं, लेकिन अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर विदेशियों को नौकरी देना गलत है।
नडेला ने कहा- तरक्की सीधी नहीं होती, ये बदलती रहती है
नडेला ने माइक्रोसॉफ्ट के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा- सबसे पहले मैं उस बारे में बात करना चाहता हूं जो मेरे लिए भारी पड़ रहा है।
मुझे पता है कि हाल की छंटनी की बात आप लोगों के मन में भी चल रही है। ये फैसले हमारे लिए सबसे मुश्किल फैसलों में से एक हैं। ये उन लोगों को प्रभावित करते हैं, जिनके साथ हमने काम किया, जिनसे हमने सीखा और जिनके साथ हमने अनगिनत पल बिताए।
उन्होंने इस हालत को “उस उद्योग में सफलता का रहस्य” बताया, जहां कोई ठोस वैल्यू या फायदा नहीं है। उन्होंने समझाया कि तरक्की सीधी नहीं होती। ये बदलती रहती है, कभी-कभी उलझन भरी होती है, और हमेशा मेहनत मांगती है।
ट्रम्प बोले- अमेरिकी कंपनियां भारतीयों की भर्ती रोकें
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भारत में हायरिंग रोकने को कहा था।
ट्रम्प ने वॉशिंगटन डीसी में आयोजित AI समिट में कहा- अमेरिका की सबसे बड़ी टेक कंपनियां हमारी आजादी का लाभ उठाती हैं, लेकिन फैक्ट्रियां चीन में लगाती हैं और भारत से लोग भर्ती करती हैं।
ट्रम्प ने टेक कंपनियों के ग्लोबलिस्ट माइंडसेट की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकियों को सबसे पहले नौकरी मिलनी चाहिए। ट्रम्प के मुताबिक विदेशों में फैक्ट्री और कर्मचारियों पर पैसा लगाकर कंपनियां अमेरिकी टैलेंट के हक को मार रही हैं।
भारत के टेक सेक्टर पर पड़ सकता है असर
भारत का IT सेक्टर इस बयान से प्रभावित हो सकता है। भारत में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य टेक कंपनियों के लाखों कर्मचारी हैं। ये कंपनियां बेंगलुरु, हैदराबाद, और पुणे जैसे शहरों में बड़े ऑफिस चलाती हैं।
इसके अलावा 2023 में US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के मुताबिक, 72% H-1B वीजा भारतीयों को मिले, जो ज्यादातर डेटा साइंस, AI, और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में हैं।
ट्रम्प की नीति से H-1B वीजा नियम और सख्त हो सकते हैं, जिससे भारतीय टेक प्रोफेशनल्स को अमेरिका में नौकरी मिलना मुश्किल होगा। साथ ही, भारत में नई भर्तियां कम होने से IT कंपनियों और स्टार्टअप्स पर दबाव बढ़ेगा।
1975 में शुरू हुई माइक्रोसॉफ्ट माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुआत तब हुई जब ज्यादातर अमेरिकी टाइपराइटर्स का इस्तेमाल करते थे। बिल गेट्स ने अपने बचपन के दोस्त पॉल एलन के साथ इसकी नींव 1975 में रखी। माइक्रोप्रोसेसर्स और सॉफ्टवेयर के शुरुआती शब्दों को जोड़कर इसका नाम माइक्रोसॉफ्ट रखा गया। शुरुआत में कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर अल्टएयर 8800 के लिए सॉफ्टवेयर बनाए। साल 1985 में माइक्रोसॉफ्ट ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया।