छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में कनिष्क सेवा संघ के अधिकारी गार्डन चौक पर इकट्ठा हुए और विरोध दर्ज कराया। तहसीलदार- नायब तहसीलदारों ने प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। उनका कहना है कि, लंबे समय से कार्यालयों में मूलभूत संसाधनों की भारी कमी है। न तो पर्याप्त स्टाफ है, न तकनीकी सुविधाएं और न ही अधिकारियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था।
इस हड़ताल का सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ा है। तहसीलों में रजिस्ट्री, नामांतरण, सीमांकन, कोर्ट प्रकरणों की सुनवाई, नक्शा प्रतियां, आय/जाति/निवास प्रमाण पत्र जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। लोग तहसील कार्यालय पहुंच तो रहे हैं, लेकिन कामकाज बंद होने से उन्हें निराश लौटना पड़ रहा है। यदि यह अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदलता है, तो राज्य की पूरी राजस्व व्यवस्था पर बड़ा संकट आ सकता है। जमीनों की रजिस्ट्री से लेकर न्यायालयीन मामलों तक, सारा काम प्रभावित होगा। वहीं प्रशासन की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
शासन को जानकारी देने के बाद भी नहीं मिला कोई जवाब- तहसीलदार
तहसीलदारों का कहना है कि शासन से कई बार पत्राचार किया गया, ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन न तो जवाब मिला और न ही समाधान। अब मजबूरीवश उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है।
बिना संसाधनों के काम करना संभव नहीं- कनिष्क सेवा संघ
वहीं छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा समिति ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन शासन या किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। बल्कि यह व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक जिम्मेदार पहल है। अधिकारियों का कहना है कि वे भी जनता की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन बिना संसाधनों के काम करना संभव नहीं है।
वही इस बारे में राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि उनकी मांगों को लेकर सहानुभूति पूर्व विचार किया जाएगा, पूर्व में उन्हें शासन से जो लाभ मिलता था। वह कांग्रेस की शासन आने के बाद बंद हो गया था। जिसे वह फिर से चालू करने की मांग कर रहे हैं, जल्दी इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।