बिहावबोड़ के ग्रामीण आज भी कीचड़भरी कच्ची सड़क पर चलने को मजबूर, पक्की सड़क का सपना अब भी अधूरा ग्राम पंचायत भेंडरवानी के आश्रित ग्राम की सुध लेने कोई तैयार नहीं, बरसात में हालात और बदतर

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घुमका (दुर्ग)। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना व मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत गांव-गांव तक पक्की सड़कों का जाल बिछाया गया है, लेकिन आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जो इस बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। ऐसा ही एक गांव है घुमका तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत भेंडरवानी का आश्रित ग्राम बिहावबोड़, जहां के लगभग 1500 की आबादी वाले ग्रामीण आज भी कीचड़ से भरी कच्ची सड़क पर चलने को मजबूर हैं।

1993 से अब तक सड़क का इंतजार
भेंडरवानी ग्राम पंचायत वर्ष 1993-94 में अस्तित्व में आया था। उस समय इसके अंतर्गत तीन आश्रित ग्राम—बरगाही, डुडिया और बिहावबोड़ शामिल थे। समय के साथ डुडिया उपरवाह और बरगाही कलड़बरी पंचायत में विलय हो गए। अब केवल बिहावबोड़ ही भेंडरवानी पंचायत के अधीन है। पंचायत मुख्यालय से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव को मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क अब भी कच्ची है। बरसात में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। ग्रामीणों को कीचड़ और फिसलन भरी पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ता है।

168 लाख का प्रस्ताव, अब भी इंतजार में
ग्राम सरपंच राजकुमारी यदु ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा इस सड़क के निर्माण हेतु सर्वे कर 1.68 करोड़ (168 लाख) रुपये की योजना शासन को प्रस्तावित की गई है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह द्वारा भी पत्र जारी कर आश्वासन दिया गया है कि सड़क निर्माण हेतु आवश्यक प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी। बावजूद इसके अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।

प्रशासन को नहीं मिली जानकारी
इस बीच घुमका तहसील के तहसीलदार मुकेश कुमार का कहना है कि उन्हें हाल ही में चार्ज लिए एक माह हुआ है और सड़क निर्माण से संबंधित कोई आवेदन या फाइल उनके पास अब तक प्रस्तुत नहीं हुई है।

ग्रामीणों की पीड़ा, कब होगी सुनवाई?
बिहावबोड़ के ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता और अफसर गांव-गांव पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही वादे हवा हो जाते हैं। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं हर रोज जोखिम उठाकर पंचायत तक जाते हैं। मवेशियों को बाजार ले जाना भी भारी मुश्किल बन गया है। ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो, ताकि उन्हें कीचड़ भरी राहों से निजात मिल सके।

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