मान्यता स्कैम: फर्जी मरीजों से भरा अस्पताल, सेटिंग से हुआ निरीक्षण – रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर

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रायपुर।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च (SRIMSR) में एमबीबीएस कोर्स की मान्यता के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किए जाने का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अस्पताल प्रबंधन ने ओपीडी और आईपीडी में मरीजों की संख्या मानकों पर दिखाने के लिए स्वस्थ ग्रामीणों को “फर्जी मरीज” बनाकर भर्ती किया। इसके बदले उन्हें और एजेंटों को पैसे दिए जाते थे।

फर्जी मरीजों के पीछे बना था पूरा नेटवर्क

भास्कर टीम की जांच में सामने आया कि पचेड़ा, तुलसी, बख्तरा, भखारा जैसे गांवों से स्वस्थ लोगों को अस्पताल बस से लाकर भर्ती किया जाता था।

  • एक व्यक्ति के नाम पर एजेंट को 200 रुपए का भुगतान होता था।

  • एजेंट उस पैसे में से 25 रुपए खुद रखता और 25 रुपए मितानिन या झोलाछाप डॉक्टर को देता था।

  • रजिस्टर्ड “मरीजों” को 150 रुपए प्रतिदिन तक की राशि दी जाती थी।

छात्रों को बताया फैकल्टी, निरीक्षण से पहले पूरी सेटिंग

रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज ने सिर्फ मरीज ही नहीं, बल्कि फैकल्टी की संख्या बढ़ाने का भी नाटक किया।

  • थर्ड और फाइनल ईयर के एमबीबीएस छात्रों को फैकल्टी स्टाफ बताकर पेश किया गया।

  • एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) के निरीक्षण से ठीक एक हफ्ते पहले कॉलेज को टीम और तारीख की सूचना मिल जाती थी।

  • इसके बाद फर्जी मरीजों की भर्ती, फैकल्टी की व्यवस्था और अन्य कागजी तैयारियां शुरू हो जाती थीं।

गांव के लोगों ने किया खुलासा

  • पचेड़ा गांव की 70 वर्षीय शांति बाई ने बताया कि वह पूरी तरह स्वस्थ होते हुए भी हफ्ते में दो दिन मरीज बनकर जाती थीं और 150 रुपए प्रतिदिन मिलते थे।

  • 65 वर्षीय चैतूराम ने कहा कि वह अब तक 5 बार फर्जी मरीज बनकर भर्ती हुए हैं, जबकि उन्हें बीमार भी नहीं थे।

इंस्पेक्शन भी महज औपचारिकता

भास्कर की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि

  • एनएमसी की निरीक्षण टीम ओपीडी या वार्ड के मरीजों से कोई बातचीत नहीं करती थी।

  • सिर्फ उपस्थिति दिखाकर रिपोर्ट फेवर में बनानी होती थी।

  • निरीक्षण के पहले कॉलेज प्रबंधन की ओर से अफसरों को हवाला के जरिए रिश्वत भी दी जाती थी।

फर्जीवाड़े का पूरा सिस्टम

  • स्वस्थ व्यक्ति को रजिस्टर कराने पर पेशेंट एजेंट को – ₹200

  • एजेंट को कमीशन – ₹25

  • मितानिन को कमीशन – ₹25

  • फर्जी मरीज को भुगतान – ₹150 प्रतिदिन

यह मामला मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है, जहां पेशेवर और नैतिक मूल्यों के साथ समझौता करके मान्यता को खरीदने की कोशिश की जा रही थी। अब देखना होगा कि इस खुलासे के बाद सरकार और एनएमसी की तरफ से क्या कार्रवाई होती है।

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