उपरवाह
क्षेत्र में बीते दिनों हुई अच्छी बारिश के बाद बोता (छिड़काव) पद्धति से धान की उपज लेने वाले किसान इन दिनों धान की बियासी कार्य कर रहे हैं।
बीज बोने के लगभग 30 से 35 दिनों के भीतर फसल को हल से जुताई करते हैं, जिससे धान के पौधों की जड़ों में व कंसों में बढ़ोतरी होती है। धान की फसल की बियासी के कई फायदे हैं। बियासी से धान के पौधों का विकास समान रूप से होता है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है। बियासी से पौधों की संख्या और उनके बीच की दूरी को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व और पानी मिलता है।
कम बीज की खपत बियासी से बीज की खपत कम होती है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है। बियासी से फसल प्रबंधन आसान होता है, जैसे कि सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग। बियासी से धान की उत्पादकता में वृद्धि होती है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है। वर्तमान में पुरानी पद्धति हो रही कृषि कार्य अब आधुनिक कृषि यंत्रों पर निर्भर हो गया है। गांव बहुत कम किसान अब बैलों एवं हल की उपयोग कर रहे हैं।