छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के बागडूमर, जामुल स्थित मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल में धर्म आधारित प्रताड़ना का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्कूल की प्रिंसिपल ईला इवन कैलविन पर आरोप है कि उन्होंने एक नर्सरी की मासूम बच्ची को सिर्फ इसलिए पीटा और प्रताड़ित किया क्योंकि उसने प्रार्थना सभा के दौरान “राधे-राधे” बोल दिया।
क्या हुआ स्कूल में?
बच्ची रोज की तरह स्कूल में प्रार्थना के लिए खड़ी थी। प्रार्थना के दौरान उसने “राधे-राधे” बोल दिया। इस पर स्कूल की प्रिंसिपल ईला इवन कैलविन आगबबूला हो गईं और कथित तौर पर बच्ची के मुंह पर टेप चिपका दिया। फिर उसे थप्पड़ मारकर पीटा गया। यह अमानवीय व्यवहार केवल धार्मिक शब्द बोलने के कारण किया गया।
बच्ची इस घटना से डरी-सहमी घर पहुंची और अपने परिजनों को रोते हुए सारी बात बताई। परिजनों ने तुरंत बजरंग दल को सूचना दी।
⚖️ FIR दर्ज, संगठनों का विरोध प्रदर्शन
बच्ची के परिजन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ नंदनी पुलिस थाने पहुंचे और स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ FIR दर्ज करवाई।
प्राथमिकी में धार्मिक भेदभाव, बच्ची से मारपीट और मानसिक प्रताड़ना जैसे आरोप दर्ज किए गए हैं।
️ VHP और बजरंग दल का कड़ा विरोध
विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने इस घटना को हिंदू आस्था पर हमला बताया है। संगठनों ने स्कूल प्रशासन की कटु आलोचना करते हुए जिला प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
प्रमुख मांगें:
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दोषी प्रिंसिपल को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
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बच्चों पर हो रहे धार्मिक अत्याचारों की निष्पक्ष जांच हो।
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सभी मिशनरी स्कूलों का विशेष ऑडिट और निगरानी की जाए।
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एक ठोस सरकारी नीति बने जिससे धर्म के नाम पर स्कूलों में कोई पक्षपात न हो।
घटनास्थल पर मौजूद प्रमुख संगठन कार्यकर्ता:
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दामिनी साहू (राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ, जिला संयोजिका)
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खेमलाल सेन (बजरंग दल, जिला सह-संयोजक)
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विक्की ठाकुर (अहिवारा प्रखंड संयोजक)
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रोहित दूबे (भिलाई नगर संयोजक)
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वरुण निषाद, राहुल साहू, मुकेश यादव, धनेश्वर, चेतन, करण, पीलूराम, सन्नी, साहिल, यशवंत, दीपेश, छोटू, राहुल यादव, हनी शर्मा, करतार सिंह, अमित साहू आदि।
VHP की चेतावनी:
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो पूरे दुर्ग जिले में आंदोलन किया जाएगा और सभी मिशनरी संस्थानों के खिलाफ जनजागरण चलाया जाएगा।
अब प्रशासन की बारी
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मिशनरी स्कूलों में हिंदू बच्चों के साथ धार्मिक भेदभाव किया जाता है? क्या “राधे-राधे” बोलना अपराध है?
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया है। लोगों ने स्कूल प्रशासन की निंदा करते हुए कहा है कि बच्चों के कोमल मन पर ऐसे अत्याचार स्वीकार नहीं किए जाएंगे। जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। यह मामला केवल एक बच्ची की पिटाई का नहीं, बल्कि भारत की धार्मिक सहिष्णुता और बच्चों के अधिकारों पर बड़ा सवाल है। क्या अब बच्चे अपने घर के धार्मिक शब्द भी स्कूल में नहीं बोल सकते? यह घटना न केवल स्कूल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत में मिशनरी संस्थानों का धार्मिक रवैया अब सवालों के घेरे में है।