राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिला-ताई का निधन, 96 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

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नागपुर: राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका वंदनीय प्रमिला-ताई मेढ़े का 31 जुलाई 2025 को नागपुर में 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति, नारी सशक्तिकरण और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार को समर्पित रहा। 2006 से 2012 तक समिति की प्रमुख संचालिका के रूप में उन्होंने संगठन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके निधन से समिति और समाज ने एक तपस्विनी नेता को खो दिया है। जानिए प्रमिला-ताई के प्रेरणादायक जीवन, उनकी उपलब्धियों और संगठन निर्माण में उनकी ऐतिहासिक भूमिका के बारे में।

कौन थीं प्रमिल ताई मेढ़े?

प्रमिल ताई मेढ़े जी का जन्म 8 जून 1929 को हुआ था। उन्होंने राष्ट्र सेविका समिति के साथ अपना जीवन समर्पित कर दिया। वर्ष 1978 से 2003 तक वे अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका के रूप में सक्रिय रहीं। इसके बाद फरवरी 2003 से जुलाई 2006 तक सह प्रमुख संचालिका और 22 जुलाई 2006 से 20 जुलाई 2012 तक समिति की चौथी प्रमुख संचालिका के रूप में कार्य किया।

उनके कार्यकाल में समिति का कार्य विदेशों में भी विस्तारित हुआ। विश्व विभाग के तहत हिंदुत्व का प्रचार और हिंदू बंधुओं का संगठन उनके प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।

प्रमुख संचालिका के बाद सलाहकार की भूमिका 2012 में प्रमुख संचालिका का दायित्व वंदनीय शांताक्का को सौंपने के बाद भी प्रमिला-ताई समिति की सलाहकार के रूप में सक्रिय रहीं। उनकी सलाह और मार्गदर्शन से समिति ने कई चुनौतियों का सामना किया और अपने कार्य को और सशक्त बनाया। उनकी अनुभवी उपस्थिति समिति के लिए एक मजबूत आधार रही।

हिंदू जीवन मूल्यों का प्रचार

प्रमिल ताई ने हिंदू जीवन मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने पर जोर दिया। उनके नेतृत्व में समिति ने महिलाओं को भारतीय संस्कृति, परंपराओं और नैतिक मूल्यों से जोड़ने के लिए विभिन्न शिविरों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।

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विश्व स्तर पर विस्तार

उनके कार्यकाल में समिति का कार्य विदेशों में भी विस्तारित हुआ। विश्व विभाग के तहत हिंदुत्व का प्रचार और हिंदू बंधुओं का संगठन उनके प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।

प्रेरणादायी नेतृत्व

प्रमिला-ताई का नेतृत्व प्रेरणादायी था। वे सेविकाओं के लिए एक मातृवत मार्गदर्शक थीं, जिन्होंने अपनी सादगी और कार्य के प्रति समर्पण से सभी को प्रभावित किया। उनकी वक्तृत्व शैली और विचारों की स्पष्टता ने युवा और वरिष्ठ सेविकाओं को समान रूप से प्रेरित किया।

वे 1965 से नागपुर के देवी अहिल्या मंदिर में निवास कर रही थीं। अंतिम समय तक वे समिति और राष्ट्रीय चिंतन के साथ सक्रिय रहीं।

राष्ट्र सेवा में समर्पित जीवन

प्रमिल ताई जी का पूरा जीवन राष्ट्र सेवा और स्त्री शक्ति जागरण को समर्पित रहा। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दिया और नौकरी के साथ-साथ समिति में विभिन्न दायित्व निभाए।

नितिन गडकरी की भावभीनी श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री नीतीन गडकरी ने सोशल मीडिया पर भावुक श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि प्रमिल ताई ने समिति के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। वे मातृशक्ति और सामाजिक जागरण की प्रेरणा थीं।

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