कांकेर में क्रिश्चियन समाज का प्रदर्शन तेज़, शव निकालने और चर्च में तोड़फोड़ के विरोध में उग्र आंदोलन की चेतावनी

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रिपोर्ट – गौरव श्रीवास्तव, कांकेर
कांकेर जिले के जामगांव में धर्मांतरण कर चुके एक व्यक्ति के शव को कब्र से बाहर निकालने और चर्च में हुई तोड़फोड़ के विरोध में शुक्रवार को क्रिश्चियन समाज सड़कों पर उतर आया। सैकड़ों की संख्या में समाज के लोगों ने शहर में विशाल रैली निकालकर प्रदर्शन किया और कलेक्टोरेट का घेराव करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया।

प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए 5 सूत्रीय मांगों को लेकर 15 दिन के भीतर कार्रवाई की चेतावनी दी है। मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में समाज ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद 26 जुलाई से शुरू हुआ, जब जामगांव निवासी धर्मांतरित सोमलाल राठौर का निधन हुआ। परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार गांव की निजी जमीन पर ईसाई रीति-रिवाज से किया। लेकिन कुछ ग्रामीणों ने इसका विरोध करते हुए प्रशासन पर दबाव बनाया कि शव को कब्र से बाहर निकाला जाए।

इसके साथ ही, गांव के चर्च में तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं। मृतक के भाई ने आशंका जताई कि यह सामान्य मृत्यु नहीं थी, बल्कि हत्या हो सकती है। इसके बाद प्रशासन ने शव को कब्र से बाहर निकालकर पोस्टमार्टम कराया और फिर चारामा के क्रिश्चियन कब्रिस्तान में दोबारा दफनाया गया।

प्रदर्शन की प्रमुख मांगें

क्रिश्चियन समाज ने प्रदर्शन के दौरान जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखीं:

.जामगांव के चर्च में हुई तोड़फोड़ की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई।

.शव को जबरन कब्र से बाहर निकलवाने के लिए दबाव बनाने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।

.क्रिश्चियन समुदाय के रीति-रिवाजों की रक्षा के लिए प्रशासनिक गाइडलाइन बने।

.ईसाई समुदाय के लिए अलग से कब्रिस्तान के लिए भूमि आवंटित की जाए।

.धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

क्रिश्चियन समाज की चेतावनी

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह घटना मृतक के परिजनों और समुदाय के लिए मानसिक और धार्मिक रूप से पीड़ादायक है। यदि 15 दिन के भीतर दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तो पूरे बस्तर संभाग में उग्र आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी गई है।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या धार्मिक भावनाओं के दबाव में आकर प्रशासन ने शव बाहर निकालने का निर्णय लिया? क्या चर्च में हुई तोड़फोड़ की जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी? अब देखना होगा कि प्रशासन इन मांगों पर क्या रुख अपनाता है।

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