अंबागढ़-चौकी जनपद उपाध्यक्ष पर अवैध वसूली का आरोप, आदिवासी महिला सरपंच ने पेश किया वीडियो सबूत, अधिकारियों से की शिकायत

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मोहला, छत्तीसगढ़।
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जनपद के उपाध्यक्ष शंकर तिवारी पर आदिवासी महिला सरपंच से अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग का गंभीर आरोप सामने आया है। इस मामले से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो चुका है, जिससे जनपद में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।

पूरा मामला अंबागढ़ चौकी विकासखंड के ग्राम कोरचाटोला की सरपंच नीलिमा ठाकुर से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जनपद उपाध्यक्ष शंकर तिवारी बीते कई दिनों से उनसे ₹70,000 की अवैध मांग कर रहे थे। हाल ही में उन्होंने फिर से ₹40,000 की माँग करते हुए 4 अगस्त को जनपद पंचायत परिसर में बुलाकर ₹15,000 नकद वसूल भी लिए।

सरपंच नीलिमा ठाकुर ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो सबूत एकत्र कर अब इसकी लिखित शिकायत जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत सीईओ और जिला पंचायत अध्यक्ष को भेज दी है। उन्होंने बताया कि इस मानसिक प्रताड़ना और आर्थिक दबाव से वह बेहद परेशान हैं और अब सार्वजनिक रूप से न्याय की गुहार लगा रही हैं।

प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव

इस मामले को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष नम्रता सिंह ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि –

“यह गंभीर मामला है जिसमें एक आदिवासी महिला जनप्रतिनिधि से अवैध वसूली और मानसिक उत्पीड़न का आरोप है। प्रशासन को तत्काल संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”

राजनीतिक हलचल तेज

वीडियो वायरल होने के बाद से ही पूरे अंबागढ़-चौकी जनपद में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले को लेकर आवाज़ उठानी शुरू कर दी है और दोषी जनपद उपाध्यक्ष को तत्काल हटाने की माँग की जा रही है।

सरपंचों के शोषण का खुलासा

यह मामला केवल एक महिला सरपंच तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जनपद पंचायतों में चल रही व्यवस्थागत अव्यवस्थाओं और दबाव की राजनीति की ओर भी इशारा करता है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह जनप्रतिनिधियों के बीच भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश भी कर सकता है।


क्या कहता है वायरल वीडियो?

वायरल वीडियो में उपाध्यक्ष शंकर तिवारी के साथ हुए लेन-देन की स्पष्ट झलक है, जो मामले को और गंभीर बनाता है। यह वीडियो सरपंच द्वारा जानबूझकर रिकॉर्ड कराया गया ताकि न्याय की लड़ाई में यह प्रमाणिक दस्तावेज के रूप में काम आ सके।


निष्कर्ष

आदिवासी महिला सरपंच के साहसिक कदम ने जनपद में हो रहे भ्रष्टाचार और शोषण को बेनकाब किया है। अब सबकी निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं।
क्या शंकर तिवारी के खिलाफ होगी निष्पक्ष जांच और न्याय?
या एक और मामला दबा दिया जाएगा?

जाँच जरूरी है, कार्रवाई अनिवार्य है।
ध्यान रहे, यह मामला न सिर्फ एक महिला सरपंच का है, बल्कि पूरे तंत्र की जवाबदेही से जुड़ा है।

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