रक्षाबंधन का पर्व: पूरे दिन बांध सकेंगे राखी, 95 साल पहले बना था ऐसा संयोग

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रायपुर – कई सालों के बाद इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। बहनें पूरे दिन अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। यही नहीं, इस बार कई दुर्लभसंयोग भी निर्मित हो रहे हैं, जो रक्षाबंधन को खास बना रहे हैं। साल 2025 में रक्षाबंधन के दिन नक्षत्र, वार, राखी बांधने का समय, पूर्णिमा तिथि का आरंभ और अंत लगभग 1930 के रक्षाबंधन के दिन की तरह ही है। 1930 में रक्षाबंधन 9 अगस्त को ही मनाया गया था और उस दिन भी शनिवार ही था। ठीक इसी तरह 2025 में ही 9 अगस्त को ही रक्षाबंधन है और इस साल भी रक्षाबंधन पर शनिवार ही है।

1930 में सावन पूर्णिमा और 2025 की सावन पूर्णिमा की शुरुआत का समय भी लगभग एक जैसा है। 1930 में भी सौभाग्य योग और श्रवण नक्षत्र था जो इस साल भी है। इसीलिए ज्योतिषाचार्य इसे बेहद दुर्लभ संयोग मान रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि और शोभन योग के अलावा इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति भी बनी रहेगी। दरअसल, राखी के पर्व पर न्याय के देवता शनि मीन और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे। इसके अलावा मन के कारक चंद्रमा मकर में अपना स्थान लेंगे। वहीं ग्रहों के राजकुमार बुध कर्क व गुरु और शुक्र मिथुन में बने रहेंगे। यही नहीं छाया ग्रह राहु कुंभ और केतु सिंह में मौजूद होंगे।

दोपहर 1.24 तक राखी बांधना अधिक फलदायी
रक्षाबंधन 2025 पर सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि, बव और बालव नाम के शुभसंयोग भी विराजमान रहेंगे। इन शुभयोगों में राखी बांधने के साथ ही ईश्वर की पूजा और दान-पुण्य करना भी बेहद शुभ साबित होगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी नहीं है इसलिए राखी बांधने के लिए सारा दिन ही शुभ होगा। हालांकि सबसे शुभ समय की बाद की जाए तो 9 अगस्त को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से 1 बजकर 24 मिनट तक का समय राखी बांधने के लिए बेहद शुभ फलदायी साबित होगा, हालांकि भद्रा का साया नहीं होने के कारण बहनें पूरे दिन अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी।

आज दोपहर प्रारंभ होगी पूर्णिमा तिथि
8 अगस्त को दिन में 2 बजकर 13 मिनट से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। अगले दिन यानी 9 अगस्त को दिन में 1 बजकर 25 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। लेकिन शास्त्रों का विधान है कि जिस तिथि में सूर्योदय होता है उसी तिथि का मान पूरे दिन रहता है। इस कारण उदया तिथि के आधार पर श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन का त्योहार 9 तारीख को मनाने की अनुशंसा पंचांग और ज्योतिषाचार्यों द्वारा की गई है।

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