हर साल 15 अगस्त को भारत आज़ादी का पर्व बड़े जोश और गर्व के साथ मनाता है। दिल्ली के लालकिले पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं। बचपन से हम क्रांतिकारियों की गाथाएं सुनते आए हैं, लेकिन इस दिन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। आइए जानते हैं 15 अगस्त से जुड़े 7 दिलचस्प और अनसुने किस्से—
1. भारत ही नहीं, दो और देश भी मनाते हैं आज़ादी का जश्न
15 अगस्त सिर्फ भारत का स्वतंत्रता दिवस नहीं है। इसी दिन साउथ कोरिया और बहरीन ने भी अपनी आज़ादी पाई थी। यानी, हजारों किलोमीटर दूर इन देशों में भी उसी दिन स्वतंत्रता का उत्सव मनाया जाता है।
2. क्यों चुनी गई 15 अगस्त की तारीख?
भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने यह तारीख इसलिए तय की क्योंकि इस दिन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी। उनके लिए यह दिन संघर्ष पर शांति की जीत का प्रतीक था।
3. पहले तय थी दूसरी तारीख
शुरुआत में भारत को आज़ादी 30 जून 1948 को देने की योजना थी, ताकि ब्रिटेन को सत्ता हस्तांतरण की तैयारी का समय मिल सके। लेकिन राजनीतिक दबाव और हालात को देखते हुए तारीख एक साल पहले कर दी गई।
4. तिरंगे में चरखे से अशोक चक्र तक का सफर
आज़ादी के समय तिरंगे के बीच में चरखा होता था, जो गांधीजी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के संदेश का प्रतीक था। बाद में इसे अशोक चक्र से बदल दिया गया, जो प्रगति और कानून का प्रतीक है।
5. आज़ादी के वक्त नहीं था राष्ट्रगान
1947 में भारत के पास कोई आधिकारिक राष्ट्रगान नहीं था। ‘जन गण मन’ को 24 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से अपनाया गया। इससे पहले यह सिर्फ एक गीत था, जो रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था।
6. तिरंगा फहराने पर थी पाबंदी
2002 से पहले आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही तिरंगा फहरा सकते थे। नवीन जिंदल की कानूनी लड़ाई के बाद ध्वज संहिता में बदलाव हुआ और अब हर नागरिक किसी भी दिन तिरंगा फहरा सकता है।
7. आज़ादी के बाद पहला डाक टिकट
नवंबर 1947 में भारत ने अपना पहला डाक टिकट जारी किया, जिसमें तिरंगे के साथ ‘जय हिंद’ लिखा था। यह नए युग और स्वतंत्र भारत की पहचान बन गया।
15 अगस्त सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि बलिदानों, संघर्षों और बदलावों की लंबी कहानी है — आज़ादी के सफर से लेकर राष्ट्रगान अपनाने तक, और तिरंगे के रूपांतरण से लेकर हर नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिलने तक।