जगदलपुर – छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में नानगुर तहसील कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 लिपिक सुरेश कुमार देवांगन पर कोटवार संघ ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कोटवार संघ का कहना है कि, बाबू अक्सर नशे की हालत में देर से कार्यालय पहुंचते हैं। कामकाज के एवज में कोटवारों से मुर्गा और शराब की मांग करते हैं। यही नहीं, किसानों से जमीन का पट्टा बनाने के नाम पर रिश्वत लेने की शिकायत भी सामने आई है।
इसी को लेकर नानगुर ब्लॉक के कोटवार संघ ने सामूहिक रूप से कलेक्टर से मुलाकात किया। प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और दोषी बाबू पर कठोर कार्रवाई की मांग की। संघ का आरोप है कि, कई बार तहसीलदार और एसडीएम को भी इस मामले से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कोटवार संघ ने साफ कहा कि, बाबू राजनीतिक धौंस दिखाकर लगातार कोटवारों को प्रताड़ित कर रहा है।
रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर एक्शन, तीन पंचायत सचिव निलंबित
वहीं रीपा योजना में भारी अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार सामने आने के बाद शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने जांच रिपोर्ट के आधार पर रायपुर संभाग के तीन पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं तीन तत्कालीन जनपद पंचायत के सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
लाखों-करोड़ों की मशीनें केंद्रों में बेकार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा की गई जांच में भंडार क्रय नियमों की अनदेखी पाई गई। तकनीकी परीक्षण के बिना मशीन खरीदी, और भुगतान में अनियमितता जैसे गंभीर दोष सामने आए है। जांच में यह भी सामने आया कि, लाखों-करोड़ों की मशीनें केंद्रों में बेकार पड़ी हैं, और कुछ मशीनें चोरी तक हो चुकी हैं।
निलंबित पंचायत सचिव
शंकर साहू-ग्राम पंचायत बिरकोनी, जनपद पंचायत महासमुंद, खिलेश्वर ध्रुव-ग्राम पंचायत गिर्रा, जनपद पंचायत पलारी, टीकाराम निराला-ग्राम पंचायत लटुआ, इन सचिवों पर आरोप है कि इन्होंने भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया, बिना तकनीकी परीक्षण मशीन खरीदी, और देय राशि का टुकड़ों में भुगतान किया।
जनपद पंचायत के अधिकारी
रोहित नायक-तत्कालीन सीईओ, जनपद पंचायत पलारी, रवि कुमार-तत्कालीन सीईओ, जनपद पंचायत बलौदाबाजार, लिखत सुल्ताना-तत्कालीन सीईओ, जनपद पंचायत महासमुंद को शो काज नोटिस दिया गया है।
गौठानों से मशीनें हुई गायब
बताया जा रहा है कि, रीपा योजना के तहत गांवों को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से कई मशीनें खरीदी गई थीं। जैसे गोबर से पेंट बनाने की मशीन, फ्लाई ऐश ब्रिक यूनिट, पेवर ब्लॉक मेकिंग मशीन, फ्लेक्स पोस्टर छपाई इत्यादि। परंतु आज अधिकांश मशीनें इन रीपा केंद्रों में जंग खा रही हैं और गौठानों से गायब हो चुकी हैं।
केंद्र सरकार से प्राप्त फंड से खरीदी गई मशीनें
सूत्रों के अनुसार, ये मशीनें बिना किसी प्रस्ताव, परीक्षण या कार्ययोजना के 14वें एवं 15वें वित्त आयोग की राशि तथा केंद्र सरकार से प्राप्त फंड से खरीदी गई थीं। कई पंचायत सचिवों ने, नाम सामने ना आने की शर्त पर बताया कि, हमें ऊपर से आदेश मिलता था कि, मशीनों का भुगतान करना है, जो भी बिल आता था, उसे पास करना हमारी मजबूरी थी।