देशभर में बढ़ते डॉग बाइट्स और रेबीज मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ किया कि जो भी आवारा कुत्ते पकड़े गए हैं, उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जा सकता है। हालांकि, जिन कुत्तों का व्यवहार खतरनाक है या जो रेबीज से संक्रमित पाए जाते हैं, उन्हें कैद में ही रखा जाएगा।
11 अगस्त के आदेश पर लगी रोक
इससे पहले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली बेंच ने आदेश दिया था कि पकड़े गए कुत्तों को छोड़ा नहीं जाए और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम भेजा जाए। इस आदेश का बड़े स्तर पर विरोध हुआ। अब तीन जजों की विशेष बेंच ने इस पर रोक लगाते हुए नया फैसला सुनाया है।
सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खिलाना मना
कोर्ट ने कहा कि अब सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित होगा। इसके लिए नगर निकायों को अलग से डेडिकेटेड फीडिंग जोन बनाने होंगे।
सख्त जुर्माना भी तय
अगर कोई व्यक्ति पकड़े गए कुत्तों को छुड़ाने से रोकता है, तो उस पर ₹25,000 का जुर्माना लगेगा। वहीं, अगर कोई NGO इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उस पर ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
कोर्ट ने क्यों लिया संज्ञान?
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले पर नोटिस लिया था। दरअसल, संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स केस दर्ज हुए थे। इनमें कई मामलों में लोगों की मौत भी हुई। कोर्ट ने इसे “चिंताजनक और भयावह” बताया था।
विरोध और बहस
इस फैसले को लेकर कई सवाल भी उठे। बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने कहा था कि दिल्ली में करीब तीन लाख आवारा कुत्ते हैं। अगर सभी को शेल्टर होम भेजना है, तो सरकार को हजारों शेल्टर बनाने पड़ेंगे, क्योंकि ज्यादा कुत्तों को एक ही जगह रखना संभव नहीं।