लोकगीत की धुन पर हुआ भोजली विसर्जन: युवतियों ने नाचते- गाते निकाली गई शोभायात्रा, मितान बनाकर लिया मित्रता निभाने का संकल्प

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बलौदा बाजार। छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा और आस्था से जुड़ा पर्व भोजली विसर्जन बलौदा बाजार जिले में धूमधाम से मनाया गया।अंचल के विभिन्न गांव में जन्माष्टमी के दिन घर-घर में रोपी गई भोजली को युवतियां सिर में रखकर आकर्षक रूप से सजाकर शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान तालाबों और नदियों तक ले जाया गया और विधि-विधान से विसर्जन किया गया।

भोजली विसर्जन के दौरान देवी गंगा की स्तुति में गाए जाने वाले लोकगीत “लहर तुरंगा, अहो देवी…” से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। भोजली को छत्तीसगढ़ की संस्कृति में मित्रता का पर्व माना जाता है। जिस प्रकार आधुनिक युग में युवा फ्रेंडशिप डे मनाकर मित्रता का इजहार करते हैं। उसी प्रकार भोजली पर्व में मित्र-बंधु एक-दूसरे को भोजली देकर दोस्ती और भाईचारे को प्रगाढ़ करने की परंपरा निभाते हैं।

भोजली देकर बनाते हैं मितान
महिलाएं और युवतियां इस अवसर पर विशेष लोकगीत गाती हैं, जिन्हें भोजली गीत कहा जाता है। विसर्जन के दिन सुबह से ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उल्लास का माहौल रहा। महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सजधज कर भोजली विसर्जन यात्रा में शामिल हुईं और समूह में गीत गाते हुए तालाब तक पहुंचीं। भोजली विसर्जन के अवसर पर बड़ी संख्या में युवकों ने मितान धर्म निभाने का संकल्प लिया, वहीं युवतियों ने गियां धर्म को निभाने का प्रण किया।

बड़ी संख्या में विसर्जन देखने पहुंचे लोग
मितान बनाकर इसे निभाना छत्तीसगढ़ की लोकपरंपरा का हिस्सा है। इस दौरान लोगों ने सुख-समृद्धि और परिवार के मंगल की कामना करते हुए पूजा-अर्चना भी की गई। जिले के विभिन्न गांवों और कस्बों में भोजली विसर्जन के दौरान बड़ी संख्या में लोग उमड़े। विसर्जन स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती थी। गीत-संगीत, हंसी-ठिठोली और उत्साह से पूरा माहौल छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रंगा नजर आया।

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