नई दिल्ली:
त्योहारी सीजन से पहले GST काउंसिल की मीटिंग को लेकर ऑटो सेक्टर में बड़ी उम्मीदें हैं। 18% और 22% GST स्लैब हटाने के प्रस्ताव ने ग्राहकों को इंतज़ार में डाल दिया है, जिससे डीलर्स की बिक्री और कैश फ्लो पर दबाव बढ़ गया है।
इंडस्ट्री की बड़ी चिंताएं:
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नई बुकिंग्स ठप: ग्राहक नए टैक्स रेट का इंतज़ार कर रहे हैं।
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फाइनेंशियल प्रेशर: डीलर्स 45-60 दिन के शॉर्ट-टर्म लोन पर इन्वेंट्री संभाल रहे, बिक्री रुकने से EMI का संकट।
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⚠️ Cess क्रेडिट पर कन्फ्यूजन: अगर Cess हट गया, तो स्टॉक पर मौजूद क्रेडिट का क्या होगा, इस पर कोई गाइडलाइन नहीं।
FADA की सरकार को 3 मांगें:
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️ GST काउंसिल मीटिंग त्योहारों से पहले हो, ताकि बदलाव समय पर लागू हों।
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बैंक/NBFC को लोन टेन्योर 30-45 दिन बढ़ाने का निर्देश।
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Cess एडजस्टमेंट पर क्लियर गाइडलाइन, ताकि डीलर्स निश्चिंत होकर इन्वेंट्री बढ़ा सकें।
बड़ी तस्वीर:
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PM मोदी के प्रस्तावित GST रिफॉर्म्स लंबे समय में ऑटो सेक्टर को बूस्ट देंगे।
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लेकिन शॉर्ट-टर्म सपोर्ट न मिला तो ओणम से दिवाली तक की बिक्री को बड़ा झटका लग सकता है।
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ऑटो इंडस्ट्री का मैसेज साफ़: “पॉलिसी डिले का असर पूरे इकोसिस्टम पर पड़ेगा।”
Quick Take:
GST रेट रेशनलाइजेशन की खबर से बाज़ार में “वेट एंड वॉच” मोड, डीलर्स की कैश क्रंच बढ़ी। अब सबकी नज़र काउंसिल मीटिंग पर – जो इस त्योहारी सीजन को मेगा सेलिब्रेशन बना सकती है या स्लो मोशन कर सकती है।