भारतीय अर्थव्यवस्था को नई पहचान देने वाले पूर्व RBI गवर्नर उर्जित पटेल को अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने उन्हें कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। इस पद पर रहते हुए पटेल न केवल भारत, बल्कि बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे पड़ोसी देशों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे।
IMF का कार्यकारी बोर्ड 24 निदेशकों से मिलकर बना है, जो संस्था के दैनिक संचालन से लेकर वैश्विक वित्तीय फैसलों तक में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बोर्ड में उर्जित पटेल की एंट्री भारत के बढ़ते आर्थिक प्रभाव को भी दर्शाती है।
उर्जित पटेल का गौरवशाली सफर
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RBI गवर्नर का कार्यकाल:
5 सितंबर 2016 को उर्जित पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर के रूप में कमान संभाली। उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली थी। उनके नेतृत्व में भारत ने 4% CPI मुद्रास्फीति लक्ष्य को औपचारिक रूप से अपनाया। -
IMF से पुराना रिश्ता:
पटेल पहले भी पांच साल IMF में काम कर चुके हैं। 1990-92 में उन्होंने अमेरिका, म्यांमार, भारत और बहामास के लिए अर्थशास्त्री के रूप में काम किया और 1992 में नई दिल्ली में उप-निवासी प्रतिनिधि रहे। -
AIIB में नेतृत्व:
जनवरी 2022 में उन्हें एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। -
कॉर्पोरेट जगत में अनुभव:
उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है।
अंतरराष्ट्रीय कद और शिक्षा
उर्जित पटेल का जन्म 28 अक्टूबर 1963 को केन्या में हुआ। मूल रूप से वह गुजरात के खेड़ा जिले से हैं।
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लंदन यूनिवर्सिटी से B.Sc. (Economics)
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से M.Phil.
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येल यूनिवर्सिटी से Ph.D. (Economics)
IMF में उनकी यह नई नियुक्ति भारत की आर्थिक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मंचों पर देश की भूमिका को और मजबूती देगी।