लोकेशन: दिल्ली, मजनू का टीला
संख्या: 300 से ज्यादा पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी
फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने बेदखली रोक का आदेश दिया और केंद्र-डीडीए से जवाब मांगा।
फैसले की अहम बातें:
✅ सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
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इन शरणार्थियों को फिलहाल कोई नहीं हटा सकता।
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केंद्र सरकार और DDA को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना होगा।
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ये सभी शरणार्थी अब नागरिकता पाने के पात्र हैं।
⚖️ वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया:
“नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता मिलने के बाद उनका संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 21) लागू हो जाएगा।”
️ पृष्ठभूमि:
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मजनू का टीला में पिछले कई सालों से रह रहे 300 शरणार्थी।
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टेंट और टीन के शेड में गुजर-बसर, रोज़ाना बेदखली का डर।
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लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का राहत भरा आदेश।
दिल्ली हाईकोर्ट का पुराना फैसला:
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हाईकोर्ट ने कहा था: “नीति बनाना कोर्ट का काम नहीं।”
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लेकिन यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया।
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गृह मंत्रालय ने कहा था कि पुनर्वास DDA का काम है, नागरिकता के लिए CAA-2019 के तहत आवेदन करें।
CAA का कानूनी एंगल:
नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत:
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पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
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शर्त: वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों।
अब क्या बदलेगा?
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शरणार्थियों को स्थायी नागरिकता का रास्ता।
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बेदखली पर रोक, अब कानूनी सुरक्षा।
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केंद्र सरकार को जवाब देना होगा: “कब तक नागरिकता प्रक्रिया पूरी होगी?”
Spin Angle:
इस खबर को हम “Justice & Hope Story” या Documentary Script स्टाइल में भी बदल सकते हैं, जहां इन शरणार्थियों के संघर्ष और उम्मीदों को इमोशनल टोन में पेश किया जाए।