रायपुर – रायपुर में हेरोइन सप्लायरों के खिलाफ पुलिस का एक्शन जारी है। पुलिस ने हाल ही में मास्टरमाइंड को पकड़ा है। वहीं इस मामले में नया खुलासा हुआ है। रायपुर में जो होरेइन चिट्टा खपाया जा रहा है, वह ओरिजनल होने की बजाय सिंथेटिक है। वैसे तो दोनों ही मानव शरीर के लिए घातक हैं। लेकिन सिंथेटिक होरोइन चिट्टा ज्यादा खतरनाक है। सिंथेटिक हेरोइन में हाथी को ट्रॅक्युलाइज (बेहोश) करने वाली दवा का इस्तेमाल हेरोइन चिट्टा के साथ अन्य मादक पदार्थ में किया जा रहा है।
जानकारों के अनुसार , सिंथेटिक हेरोइन चिट्टा का सबसे आम रूप फेंटेनाइल है जो हेरोइन से पचास गुना ज्यादा असरदार है। हालांकि ये रासायनिक रूप से हेरोइन के समान हैं। सिंथेटिक ओपिओइड अलग-अलग दवाएं हैं। एक किलो फेंटेनाइल से पांच लाख लोगों से ज्यादा की मौत हो सकती है। ऐसी दवाओं को मिलाकर सिंथेटिक ड्रग बनाकर बेचा जा रहा है।
चिट्टा मतलब सफेद
आजकल जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वह है विट्टा। पंजाची और उसकी उपभाषाओं या बोलियों में चिट्टा का मतलब होता है सफेद। पहले पंजाब में सिर्फ हेरोइन को विट्टा कहा जाता था क्योंकि इसका रंग सफेद होता था। मगर अब विट्टे की परिभाषा, व्यापक हो गई है। हेरोइन तो अफीम से बनने वाला ड्रग है लेकिन अब और भी कई सिंथेटिक ड्रग्स इस्तेमाल होने लगे हैं जो देखने में सफेद ही होते हैं। इस कारण उन्हें भी विट्टा ही कहा जाने लगा है। ये सिंथेटिक ड्रम्स है एमडीएमा।
कितना खतरनाक होता है मेथ (एमडीएमए)
हेरोइन और मेथ, हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम के लिए उत्तेजक की तरह काम करते है। यानी दिमाग और रीढ़ की हड़ी के बीच के उस महत्वपूर्ण हिस्से की गतिविधियों को बढ़ा देता है, जिसका काम शरीर के विभिन्न हिस्सों से सिग्नल लेना है और कोई हरकत करने के लिए संदेश भेजना है। इन दोनों ड्रग्स को कई तरह से लिया जाता है। सीधे मुंह से निगलकर, नाक से सूंघकर, धुएं के जरिए, नस में इंजेक्शन लगाकर मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाकर या फिर त्वचा के बाहरी हिस्से में इंजेक्शन लगाकर।
चिट्टा तैयार करने ट्रैक्यूलाइज करने वाली दवा का इस्तेमाल
हेरोइन चिट्टा सहित अन्य तरह के सिंथेटिक ड्रग को ज्यादा असरकारक बनाने ड्रग माफिया हाथी को ट्रैक्यूलाइज (बेहोश) करने वाली दवा एटार्फिन, कार फेंटानील जैसी दवाओं को मिश्रण कर रहे हैं। एटार्फिन की पाइंट एक मिलीग्राम से हाथी को ट्रैक्यूलाइज किया जाता है। उस पाइंट एक ग्राम के दसवें हिस्से से कम की दवा में इंसान बेहोश होने के साथ मर सकता है। एटार्फिन, कार फेंटानील दक्षिण आफ्रीका से आयात की जाती है।
मॉरफीन की तुलना में तीन गुना स्ट्रांग
हेरोइन मॉरफीन की तुलना में तीन गुना ज्यादा असरकारक है। मॉरफीन भी अफीम से तैयार किया जाता है। मॉरफीन एक दवा है और दवाओं में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है। मॉरफीन का ब्लैक मार्केट में मिलना कठिन है। जबकि हेरोइन ब्लैक मार्केट में आसानी से उपलब्ध है। मॉरफीन तैयार करने में सावधानी बरती जाती है, हर चीज का ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में होता है। जबकि हेरोइन को अवैध ढंग से बिना ध्यान दिए तैयार कर दिया जाता है क्योंकि इसे नशे के लिए इस्तेमाल करना होता है।