सीतापुर (अनिल उपाध्याय)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के किसानों को यूरिया खाद को लेकर थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन संतोष अब भी दूर है। महीनों की प्रतीक्षा के बाद समितियों में यूरिया खाद पहुंचा है, हालांकि इसकी मात्रा बेहद सीमित है। कई समितियों को अब भी स्टॉक नहीं मिल पाया है, जिससे किसानों में असंतोष बना हुआ है।
किसानों का संकट बरकरार
किसानों का कहना है कि इस बार खाद संकट के कारण उनकी खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई किसानों को मजबूरी में बाजार से महंगे दामों पर खाद खरीदना पड़ा। छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर किसान तो दुकानदारों से ब्याज पर यूरिया लेते रहे, ताकि फसल समय पर तैयार हो सके। इन किसानों को अब फसल बेचने के बाद मूल रकम के साथ ब्याज भी चुकाना पड़ेगा।
खाद संकट के बीच संघर्ष
यूरिया संकट को लेकर सरगुजा में लंबे समय तक हंगामा मचा रहा। किसानों और विपक्षी दलों के लगातार दबाव के बाद समितियों तक यूरिया खाद पहुंच सका। हालांकि अभी यह वितरण बेहद सीमित है और कई समितियां इसकी आपूर्ति का इंतजार कर रही हैं। किसानों ने इस वितरण को “ऊंट के मुंह में जीरा” बताते हुए कहा कि जरूरत के मुकाबले यह बेहद कम है।
समितियों में वितरण की स्थिति
खाद नियंत्रक अधिकारी संतोष बेक के अनुसार, फिलहाल जो यूरिया खाद स्टॉक आया है, उसे प्राथमिकता के आधार पर कुछ समितियों में भेजा गया है:
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सीतापुर समिति (आमाटोली): 29.250 मीट्रिक टन
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मैनपाट समिति (कमलेश्वरपुर): 27.900 मीट्रिक टन
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बतौली समिति: 27 मीट्रिक टन
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राजापुर समिति: 20 मीट्रिक टन
शेष समितियों के लिए भी यूरिया खाद की मांग भेज दी गई है। जैसे ही नया स्टॉक पहुंचेगा, अन्य समितियों में भी खाद वितरित कर दिया जाएगा।
किसानों की उम्मीद
किसानों का कहना है कि जब तक सभी समितियों में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध नहीं होता, तब तक संकट खत्म नहीं होगा। वे उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द नई खेप भेजकर उनकी समस्याएं दूर करेगा।