रायगढ़ में 40वें चक्रधर समारोह में देशभर के कलाकार अपनी कला से समां बांध रहे हैं। 8वें दिन का मंच शास्त्रीय नृत्य को समर्पित रहा, जहां 7 वर्षीय बाल कलाकार से लेकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगनाओं ने प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
समारोह की शुरुआत रायपुर की 7 वर्षीय बाल कलाकार आशिका सिंघल के कथक नृत्य से हुई। केवल 7 साल की उम्र में आशिका ने अपनी सधी हुई ताल और भावपूर्ण अभिनय से उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने “मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो” भक्ति गीत पर कथक प्रस्तुत कर मंच की गरिमा बढ़ाई। आशिका पिछले चार वर्षों से कथक साधना कर रही हैं।
संगीता कापसे और शिष्याओं की प्रस्तुति
इसके बाद कथक नृत्यांगना गुरु संगीता कापसे और उनकी शिष्याओं ने प्रस्तुति दी। उन्होंने तीनताल और झपताल पर आधारित नृत्य में श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों को जीवंत किया। मंच पर उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति ने कृष्ण भक्ति की गहराई को और भी निखार दिया।
रायपुर और दुर्ग की नृत्यांगनाओं ने बिखेरा रंग
राजधानी रायपुर की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना अजीत कुमारी कुजूर और उनकी टीम ने भरतनाट्यम प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति में दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपरा की झलक स्पष्ट दिखाई दी।दुर्ग की कथक नृत्यांगना देविका दीक्षित ने भी अपनी प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया।
लगभग 24 वर्षों से कथक साधना कर रही देविका ने अपने गुरु उपासना तिवारी और आचार्य पंडित कृष्ण मोहन मिश्र से सीखे कौशल को मंच पर प्रदर्शित किया। उनकी प्रस्तुति के दौरान पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
बेंगलुरु की टीम ने रचा समां
बेंगलुरु के प्रख्यात कथक कलाकार डॉ. लक्ष्मीनारायण जेना और उनकी टीम की अनुपम प्रस्तुति ने कार्यक्रम को नई ऊँचाई दी। उन्होंने लखनऊ-जयपुर घराने की बारीकियों को कथक में पिरोते हुए भारतीय संस्कृति और परंपरा का अद्भुत चित्रण किया।